अल्पसंख्यकों पर हमलों की छिटपुट घटनाएं किसी राष्ट्र का प्रतीक नहीं बन सकती: दलाई लामा
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अल्पसंख्यकों पर हमलों की छिटपुट घटनाएं किसी राष्ट्र का प्रतीक नहीं बन सकती: दलाई लामा

दलाई लामा ने कहा कि सदैव कुछ ऐसे शरारती लोग होते हैं लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह उस राष्ट्र का प्रतीक हैं. 

दलाई लामा ने कहा कि भारत को दुनिया को धर्म के नाम पर संघर्ष कम करने में मदद करनी चाहिए  (IANS)

नई दिल्ली: तिब्बतीय आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत एक ऐसा भूभाग है जहां युगों से धार्मिक सद्भाव बना हुआ है और अल्पसंख्यकों पर हमले की कुछ छिट-पुट घटनाएं इस बात का प्रतीक नहीं हो सकती है कि यह ऐसा राष्ट्र है. 

हाल ही में गुड़गांव में 40 से अधिक व्यक्तियों द्वारा एक मुस्लिम परिवार पर पथराव समेत भारत में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमलों पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए आध्यात्मिक नेता ने कहा कि सदैव कुछ ऐसे शरारती लोग होते हैं लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह उस राष्ट्र का प्रतीक हैं. 

'सदैव कुछ शरारती लोग होते हैं'
उन्होंने कहा,‘(अल्पसंख्यकों पर हमले की) कुछ छिटपुट घटनाएं राष्ट्र के लिए इस बात का प्रतीक नहीं हो सकती है कि हम इसी तरह के हैं.’ उन्होंने कहा,‘सदैव कुछ शरारती लोग होते हैं, उसका मतलब यह नहीं है कि यह उस देश का प्रतीक है.’

गुड़गांव के भूप सिंह नगर में होली पर क्रिक्रेट को लेकर हुए किसी विवाद के चलते 40 से अधिक व्यक्तियों ने मोहम्मद अख्तर के घर पर पथराव किया था और उसके परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट की थी.

'हजारों सालों से धार्मिक सद्भाव बना हुआ है'
आध्यात्मिक नेता ने कहा कि भारत को दुनिया को धर्म के नाम पर संघर्ष कम करने में मदद करनी चाहिए और दावा किया कि वह सरकार को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक सम्मेलन आयोजित करने की सलाह देते रहे हैं.  उन्होंने कहा कि हजारों सालों से धार्मिक सद्भाव बना हुआ है और बंबई में एक बिल्कुल छोटा समुदाय पारसी शांति से रह रहा है.

उन्होंने कहा, ‘अतएव, यह इस बात का दृष्टांत है कि भारत क्या है.. मैंने भारतीय मुसलमानों के बीच, खासकर शिया और सुन्नी के मध्य समस्याएं कभी नहीं सुनीं. लेकिन समीप के देश में शिया और सुन्नी के नाम पर लोग एक दूसरे की हत्या कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि भारत एक अरब से अधिक की आबादी वाला देश है और धार्मिक सद्भाव अनोखा है ऐसे में भारत को दुनिया को यह दिखाने के लिए अधिक सक्रिय रहना चाहिए कि कैसे विभिन्न धर्म साथ रह सकते हैं.

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