आतंकी डेविड हेडली का खुलासा- बचपन से ही भारत और भारतीयों के प्रति पैदा हो गई थी नफरत, इसी वजह से लश्कर-ए-तोएबा के साथ जुड़ा
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आतंकी डेविड हेडली का खुलासा- बचपन से ही भारत और भारतीयों के प्रति पैदा हो गई थी नफरत, इसी वजह से लश्कर-ए-तोएबा के साथ जुड़ा

पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली ने शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत के समक्ष दावा किया है कि उसने अमेरिका में शिवसेना के लिए चंदा जुटाने की खातिर एक कार्यक्रम की व्यवस्था की थी और उसकी योजना तत्कालीन पार्टी सुप्रीमो बाल ठाकरे को उस आयोजन में बुलाने की थी।

आतंकी डेविड हेडली का खुलासा- बचपन से ही भारत और भारतीयों के प्रति पैदा हो गई थी नफरत, इसी वजह से लश्कर-ए-तोएबा के साथ जुड़ा

मुंबई : पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली ने शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत के समक्ष दावा किया है कि उसने अमेरिका में शिवसेना के लिए चंदा जुटाने की खातिर एक कार्यक्रम की व्यवस्था की थी और उसकी योजना तत्कालीन पार्टी सुप्रीमो बाल ठाकरे को उस आयोजन में बुलाने की थी।

हेडली ने अपने क्रॉस एक्‍जामिनेशन के तीसरे दिन शुक्रवार को खुलासा किया कि वह एक प्रोग्राम में बाल ठाकरे को अमेरिका में बुलाना चाहता था। इस कार्यक्रम में कई अन्‍य शिवसेना नेताओं को भी बुलाना चाहता था। वह अमेरिका में शिवसेना के इस कार्यक्रम के लिए फंड एकत्रित करने की कोशिश कर रहा था। हेडली ने कहा कि वह भारत से नफरत की वजह से ही लश्‍कर में शामिल हुआ।  

 

मुंबई पर 26/11 को हुए आतंकी हमलों के मामले में गवाह बने 55 वर्षीय हेडली ने अब्दुल वहाब खान द्वारा की जा रही जिरह के तीसरे दिन अमेरिका से एक वीडियो लिंक के जरिए ये बातें कहीं। अब्दुल वहाब खान वर्ष 2008 के इन हमलों के कथित प्रमुख साजिशकर्ता अबु जंदाल के वकील हैं। एक सवाल के जवाब में हेडली ने कहा कि उसने ठाकरे को इस कार्यक्रम में बुलाने की योजना बनाई थी। हेडली ने कहा कि हां, लेकिन वह शुरुआती चरणों में थी। हेडली ने यह भी कहा कि ‘ठाकरे को आमंत्रित करने के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई थी।’ आतंकी हमलों में अपनी भूमिका के चलते अमेरिका में दोषी करार दिए गए लश्कर के इस आतंकी ने कहा कि शिवसेना के एक व्यक्ति राजाराम रेगे ने उसे बताया था कि ‘ठाकरे बीमार हैं और इसलिए शायद उनका पुत्र और अन्य अधिकारी कार्यक्रम में शिरकत कर सकते हैं।’

जब हेडली से पूछा गया कि क्या इस बात की जानकारी लश्कर को थी, तो उसने कहा कि उसने चंदा जुटाने के कार्यक्रम के बारे में आतंकी संगठन से चर्चा की थी। जब उससे पूछा गया कि क्या ठाकरे इस कार्यक्रम के बारे में जानते थे, तो हेडली ने जवाब दिया, ‘मुझे यह कैसे पता होगा? मैंने राजाराम रेगे से बात की और उसने मुझे बताया कि उन्हें (ठाकरे को) सफर न करने की सलाह दी गई है।

हालांकि हेडली ने बचाव पक्ष के वकील की इस बात पर सहमति जताई कि उसने इस कार्यक्रम की चर्चा रेगे के साथ की थी। जब हेडली से पूछा गया कि क्या उसने रेगे को कहा था कि वह ठाकरे को इस आयोजन की जानकारी दे तो हेडली ने कहा कि ‘मैंने सामान्य तौर पर कहा था लेकिन इस बारे में विशेष तौर पर नहीं कहा।’

 

हेडली ने अदालत को यह भी बताया कि बचपन से ही उसमें भारत और भारतीयों के प्रति नफरत पैदा हो गई थी और ‘तब से ही वह ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना चाहता था।’ जब उससे इस नफरत के पीछे की वजह पूछी गई तो उसने कहा कि वर्ष 1971 में भारतीय विमानों ने मेरे स्कूल पर बम बरसाए थे। उस समय मुझमें यह भावना पैदा हो गई।’ उसने कहा कि हमले में लोग मारे गए थे। मेरे लश्कर-ए-तोएबा के साथ जुड़ने की वजहों में एक वजह यह भी थी।

हेडली अमेरिका में 35 साल की कैद काट रहा है। उसने इस बात से इंकार किया है कि वह वर्ष 1988 से 2008 तक लगातार अमेरिकी जांच अधिकारियों के संपर्क में था। उसने इन आरोपांे से भी इंकार कर दिया कि अमेरिकी एजेंसियां उसे धन मुहैया करवा रही थीं। उसने कहा कि यह बात कहना आधारहीन है कि मेरे पाकिस्तान जाने के बारे में अमेरिकी एजेंसियों को पता था। उसने यह भी कहा कि यह कहना भी गलत होगा कि 26/11 हमलों में उसकी भूमिका के चलते उसपर जुर्माने लगाने का आग्रह एफबीआई ने अमेरिकी अदालत में नहीं किया। उसने कहा कि यह सच नहीं है। अदालत में जुर्मानों के लिए आग्रह करने का काम एफबीआई का नहीं है।

सत्र अदालत में जंदाल के खिलाफ 26/11 आतंकी हमले के मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश जेए सनाप को हेडली ने बताया कि लश्कर-ए-तोएबा के साथ उसके संबंध की जानकारी अमेरिकी अधिकारियों को होने की बात कहना हास्यास्पद है। उसने इस बात से भी इनकार किया कि उसने एफबीआई के साथ सांठ गांठ करके जुर्माने के 30 लाख डॉलर बचा लिए और इस वजह से एजेंसी ने मौत की सजा या उम्रकैद पर जोर नहीं दिया। कल उसने खुलासा किया कि किस तरह लश्कर बाल ठाकरे को मिटा देना चाहता था लेकिन जिस व्यक्ति को शिवसेना प्रमुख की हत्या का काम सौंपा गया था, वह ‘गिरफ्तार’ हो गया था और उसने पुलिस को जानकारी दे दी थी।

हेडली ने अदालत को यह भी बताया कि हालांकि वह 26/11 हमले के 10 हमलावरों में से किसी से भी निजी तौर पर नहीं मिला था लेकिन उसने उनमें से एक हमलावर की तस्वीर इंटरनेट पर देखी थी और उसने उसकी पहचान अजमल कसाब ‘रहमतउल्ला अलिया’ के रूप में की। आतंकी ने इससे पहले 13 फरवरी को मुंबई सत्र अदालत के समक्ष एक सप्ताह तक चली गवाही पूरी की थी। यह गवाही भी उसने अमेरिका से वीडियो लिंक के जरिए ही दी थी। हेडली ने अपनी पूर्व की गवाही में बताया था कि किस तरह खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा, जैश-ए-मुहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन को ‘आर्थिक, सैन्य और नैतिक सहयोग’ उपलब्ध करवाती है और किस तरह से लश्कर-ए-तोएबा ने 26/11 हमलों की साजिश रची और किस तरह इसे अंजाम दिया। उसने यह भी दावा किया था कि गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां लश्कर की सदस्य थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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