घोटालों से निपटना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी : पर्रिकर
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घोटालों से निपटना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी : पर्रिकर

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि रक्षा मंत्री का पदभार संभालने के बाद उनके लिए ‘घोटालों से निपटना’ सबसे बड़ी चुनौती थी। कुछ घोटाले सामने आने के बाद हमने कानून बनाए। इसका परिणाम अंतत: कड़े कानूनों के प्रभाव में आने और समूची रक्षा खरीद प्रक्रिया रूकने के रूप में निकला।’ 

घोटालों से निपटना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी : पर्रिकर

मुंबई : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि रक्षा मंत्री का पदभार संभालने के बाद उनके लिए ‘घोटालों से निपटना’ सबसे बड़ी चुनौती थी। कुछ घोटाले सामने आने के बाद हमने कानून बनाए। इसका परिणाम अंतत: कड़े कानूनों के प्रभाव में आने और समूची रक्षा खरीद प्रक्रिया रूकने के रूप में निकला।’ 

पर्रिकर ने कहा कि अनुषंगी कंपनियों की गलती की वजह से कंपनियों या समूचे समूह को काली सूची में डालना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व में कंपनियों के 17 से 20 समूह हैं जो रक्षा उपकरण विनिर्माण और आपूर्ति से जुड़े हैं। यहां बांद्रा में सुरक्षा विश्लेषक नितिन गोखले की प्रस्तुति वाले कार्यक्रम ‘स्ट्रेंथनिंग इंडियाज डिफेंस केपेबिलिटीज’ में पर्रिकर ने कहा, ‘किसी बड़े समूह की किसी खास कंपनी या शाखा द्वारा आपूर्ति किए गए त्रुटिपूर्ण उपकरण या उत्पाद को लेकर कार्रवाई करते समय व्यावहारिक रख अपनाए जाने की आवश्यकता है।’ 

रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कंपनियों को काली सूची में डालने के लिए मसौदा नीति को मंजूरी दे दी है। हम इस पर जल्द काम करेंगे। उन्होंने हथियारों के निर्माण में स्वदेशीकरण पर जोर दिया क्योंकि भारत सरकार इनके आयात पर लाखों करोड़ रूपये खर्च करती है। पर्रिकर ने कहा, ‘हथियार विनिर्माण में आत्मनिर्भरता एक काल्पनिक चीज है। यदि कोई देश हथियार विनिर्माण में लगभग 70 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल कर लेता है तो यह पर्याप्त होना चाहिए और भारत द्वारा इसे हासिल किया जाना एक अच्छी चीज होगा।’ 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 तक भारत 70 प्रतिशत का वह लक्ष्य हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा, ‘2027 तक रक्षा खरीदारी के लिए कोष की कोई बाधा नहीं है। हमारी जरूरत केंद्रीय वित्त मंत्रालय के ग्राफ के अनुसार प्रस्तावित है।’  हथियारों के विकास के बारे में पूछे जाने पर रक्षामंत्री ने कहा, ‘होवित्जर मॉडल के आधार पर एक हल्की तोप अंतिम चरण में है । इसका वजन पर्वतों में तैनात मौजूदा तोपों के वजन का 30 प्रतिशत होगा। 155 x 52 कैलिबर की तोपों को भी जल्द बदला जाएगा। हथियार निर्माण में ये दो बड़ी उपलब्धियां हैं।’ 

एक रैंक एक पेंशन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग गलत धारणा पैदा कर रहे हैं। आठ हजार करोड़ रूपये की मांग में से हम अब तक 7500 करोड़ रूपये के पैकेज को मंजूरी दे चुके हैं।’ नवी मुंबई में प्रौद्योगिकी एवं सामग्री विज्ञान पर एक उद्योग प्रदर्शनी से इतर पर्रिकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे प्रभार के पिछले 23 महीनों के दौरान हमने 2200 अरब रूपये के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। हाल में, एक सरकार संचालित पोत कारखाने के साथ करीब 32 हजार करोड़ रूपये के एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए जिससे कुल ऑर्डर 2500 अरब रूपए का हो गया।’ 

उन्होंने कहा, ‘अगले छह महीनों में मैं 50 से 60 हजार करोड़ रूपये के अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद करता हूं जिससे यह कुल 3000 अरब रूपए का हो जाएगा।’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा निर्यात 500 करोड़ रूपये से बढ़कर तीन हजार करोड़ रूपये का हो गया है, यद्यपि मंत्रालय के आंकड़े केवल 2,100 करोड़ रूपये का निर्यात दर्शाएंगे। इसका एक कारण यह है कि इसमें उड्डयन क्षेत्र के निर्यात को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह डीलाइसेंस कर दिया गया है।’

पिछले रक्षा मंत्रियों से काफी बेहतर है मेरा पहनावा

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने सीधे-सादे लेकिन चर्चित पहनावे के संबंध में कहा कि वह सूट जैसे पश्चिमी परिधानों में असहज महसूस करते हैं और उनकी पोशाक पहले के रक्षा मंत्रियों से काफी बेहतर है। पर्रिकर से उनके पहनावे पर सवाल किया गया था। प्रश्न करने वाले ने कहा कि सरकारी तंत्र का एक धड़ा सोचता है कि बड़े पद पर होने के बाद भी पर्रिकर का पहनावा साधारण है।

पर्रिकर ने कहा, ‘मैं सूट जैसे पश्चिमी परिधान में असहज महसूस करता हूं। पिछले रक्षा मंत्री की तुलना में मेरा पहनावा काफी अच्छा है।’ 

उन्होंने जाहिर तौर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘और मैं आईआईटी से पढ़े दूसरे लोगों की तरह अपनी सादगी पर वोट नहीं मांगता।’ गोवा के मुख्यमंत्री के बाद दिल्ली में बतौर केंद्रीय मंत्री उनके कार्यकाल के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पर्रिकर ने कहा, ‘मैं दिल्ली केवल इसलिए आया क्योंकि मुझे रक्षा मंत्रालय की पेशकश की गयी। अन्यथा मैं गोवा में ज्यादा अच्छा था।’

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