भारतीय मूल के जयपुर के रहने वाले दीपक पालीवाल ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के लिए अपनी जान दांव पर लगी दी.
Trending Photos
नई दिल्ली: पूरी दुनिया सिर्फ एक सवाल का जवाब पूछ रही है कि कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) कब तक आएगी? इसका जवाब जल्द मिलने वाला है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की कोरोना वायरस (coronavrius) की वैक्सीन का पहला मानवीय परीक्षण सफल हो गया है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को वैक्सीन के पूरी तरह सफल होने का भरोसा है. साथ ही उन्हें भरोसा है कि सितंबर 2020 तक यह वैक्सीन लोगों को उपलब्ध करा दी जाएगी. इसमें दीपक पालीवाल (Deepak Paliwal) का अहम योगदान है.
भारतीय मूल के जयपुर के रहने वाले दीपक पालीवाल ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के लिए अपनी जान दांव पर लगी दी. दीपक कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए वॉलंटियर बने और अपने शरीर पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण करवाया. कोरोना वैक्सीन के पहले सफल मानवीय परीक्षण में शामिल हुए.
दीपक लंदन में फार्मा कंपनी में कंसल्टेंट के तौर पर काम करते हैं. ZEE NEWS ने दीपक पालीवाल से बातचीत की. दीपक ने बताया कि उन्हें पता था कि उनकी जान खतरे में है लेकिन उन्होंने निश्चय कर लिया था कि मानव जाति के कल्याण के लिए कुछ करना है.
दीपक ने बताया, "डर तो थोड़ा लगा लेकिन मैंने निश्चय कर लिया था कि कुछ करना है. सबसे बड़ा डर यही था कि हम लोग यहां ब्रिटेन में अकेले हैं और माता-पिता भारत (जयपुर) में हैं. अगर कुछ भी गड़बड़ हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा. न वो लोग हमें देख सकते हैं, न हम वहां जा सकते हैं. बाकी हर क्लीनिकल ट्रायल में जोखिम होता है. अगर जोखिम के चलते क्लीनिकल ट्रायल में भाग नहीं लिया गया तो कोई ट्रायल नहीं हो पाएगा."
ये भी पढ़ें: दुनिया के हर देश में पहुंचेगा कोरोना का टीका, 150 से अधिक देश मिलकर कर रहे काम
दीपक ने आगे बताया, "मार्च में हर जगह से कोरोना को लेकर निगेटिव खबरें आ रही थीं. कोरोना वैक्सीन को लेकर एक ह्यूमन ट्रायल चल रहा था. मैंने उसमें हिस्सा लेने का निश्चिय किया. उद्देश्य सिर्फ यही था कि अगर हमारी वजह से कुछ अच्छा हो सकता है, तो हो जाए."
दीपक ने अपने परिवार को भी ट्रायल में भाग लेने के बारे में जानकारी नहीं दी थी. ZEE NEWS से दीपक की मां शैल कुमारी ने बताया, "दीपक की जब बात मीडिया में आ गई, तब हमें भी पता चला. शायद उन्होंने खतरे को खुद महसूस किया होगा. हमें परेशानी से बचाने के लिए शायद नहीं बताया. ट्रायल पूरा होने के बाद हमें इसकी जानकारी दी. मुझे दीपक पर गर्व है."
शैल कुमारी ने कहा, "दीपक ने साहसिक काम किया है. अपने परिवारों में यही शिक्षा दी जाती है कि स्वार्थ से ऊपर उठकर परमार्थ पर ध्यान दें. दीपक को भगवान हमेशा हर काम में सफल बनाए. पूरे देश की दुआएं उसके साथ हैं."
पत्नी को ट्रायल के लिए कैसे मनाया, इस सवाल के जवाब में दीपक ने कहा, "उन्होंने ट्रायल में हिस्सा लेने का विरोध नहीं किया. बस केवल उनको चिंता थी. ट्रायल में कई तरह के केमिकल का शरीर पर परीक्षण किया जाता है,
इसलिए उनके दुष्प्रभाव को लेकर वह चिंतित थीं."
इस राज्य में प्लाज्मा डोनेट करके बचाएं लोगों की जान, सरकार देगी 5 हजार रुपये का इनाम
दीपक ने कहा, "ट्रायल से पहले कुछ रीडिंग मटेरियल दिया गया था. एक वीडियो दिखाया गया था जिसमें बताया गया कि ट्रायल से क्या-क्या इफेक्ट हो सकते हैं. फीवर से लेकर ऑर्गन डैमेज का जिक्र था. मौत होने का भी जिक्र था."
ट्रायल की शुरुआत और इसकी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए दीपक ने कहा, "16 अप्रैल 2020 को हमारे पास खबर आई कि क्लीनिक ट्रायल होने वाला है. स्क्रीनिंग बहुत जरूरी थी. शुरुआती जांच में मुझे फिट पाया गया. फिर वैक्सीन लेने को कहा गया. वीडियो दिखाए. फिर सहमति ली गई कि क्या मैं तैयार हूं. मैंने सहमति जताई. फिर वैक्सीन दी गई. तीन घंटे तक निगरानी में रखा गया क्योंकि जो रिएक्शन होता वो उसी दौरान होता. हमें एक ई-डायरी दी गई थी जिसमें लक्षण बताने थे. फिर 29 बाद एक टेस्ट हुआ, जिसमें देखा गया कि क्या एंटी-बॉडी बन रही हैं या नहीं."
VIDEO देखें: