ATAGS Artillery Guns: भारतीय सेना की तोपखाना क्षमता बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के साथ 6900 करोड़ रुपये के दो कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए हैं. इसके तहत 155 मिमी/52 कैलिबर एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम और हाई मोबिलिटी गन टोइंग व्हीकल्स की खरीद की जाएगी.
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ATAGS Artillery Guns: भारत के रक्षा मंत्रालय ने सेना की डिफेंस कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए बुधवार को 6900 करोड़ रुपए की एक बड़ी डील साइन की. इसके तहत अब 307 एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), हाई मोबिलिटी 6x6 गन-टोइंग व्हीकल्स खरीदी जाएगी. खास बात यह है कि यह पहली बार है जब इतनी बड़ी तादाद में स्वदेशी तोपें खरीदी जा रही हैं. यह डील निजी क्षेत्र की कंपनियां भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ हुई है. इसमें भारत फोर्ज 60 फीसदी तोपों का निर्माण करेगी, जबकि टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स 40 फीसदी का प्रोडक्शन करेगी.
DRDO द्वारा डिजाइन और विकसित 155 मिमी/52-कैलिबर ATAGS के लिए सौदे पर साइन के साथ, चालू वित्त वर्ष में रक्षा मंत्रालय द्वारा साइंड खरीद कॉन्ट्रैक्ट का कुल मूल्य 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गया है. पीएम की अगुआई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 19 मार्च को ATAGS सौदे को मंजूरी दे दी थी.
रक्षा सचिव ने क्या कहा?
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बुधवार को प्रोग्राम के दौरान डीआरडीओ के पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ( Armament Research & Development Establishment ) के एटीएजीएस के प्रोजेक्ट निदेशक को सम्मानित किया, जिसकी मारक क्षमता गोला-बारूद के आधार पर 45 किलोमीटर तक है. एक अफसर ने कहा, 'इस तोप सिस्टम की खरीद सेना की तोपखाना रेजिमेंटों के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर उनकी परिचालन तत्परता को बढ़ाता है. अपनी असाधारण मारक क्षमता के लिए प्रसिद्ध, ATAGS सटीक और लंबी दूरी के हमलों को सक्षम करके सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.'
एटीएजीएस इनकी जगह लेगा
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत फोर्ज ने सबसे कम बोली लगाई थी, इसलिए वो 60% तोपों का निर्माण करेगा, जबकि टाटा शेष 40% का उत्पादन करेगा. एक अन्य अफसर ने कहा, 'एटीएजीएस पुरानी हो चुकी 105 मिमी और 130 मिमी तोपों की जगह लेगा. इसके 65% से ज्यादा घटक घरेलू स्तर पर सोर्स किए गए हैं, जिनमें बैरल, थूथन ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम और गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म जैसे प्रमुख सबसिस्टम शामिल हैं.'
एटीएजीएस की खासियतें
अफसरों का कहना है कि एटीएजीएस में बेहतरीन एक्यूरेसी, स्टेबिलिटी, मॉबिलिटी, विश्वसनीयता और ऑटोमेशन है. सबसे खास यह है कि ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव प्रौद्योगिकी के कारण लंबे वक्त तक रखरखाव से मुक्त रहेगा और अन्य विदेशी बंदूकों द्वारा तीन-राउंड बर्स्ट की तुलना में पांच-राउंड बर्स्ट फायर कर सकते हैं.
एटीएजीएस का डेवलेपमेंट 2013 में शुरू हुआ था, लेकिन पिछले कुछ सालों में कई लंबे फील्ड परीक्षणों से गुजरा है. आखिरकार, 2021-22 में सिक्किम के ऊंचाई वाले इलाकों में विंटर टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरे किए गए, जिसके बाद पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में समर यूजर-फायरिंग टेस्ट किए गए.
एलएंडटी के साथ 7,629 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट
इससे पहले दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने दक्षिण कोरियाई हनव्हा डिफेंस के सहयोग से एलएंडटी के साथ 7,629 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया था, जिसके तहत 100 K-9 वज्र-टी स्व-चालित ट्रैक्ड गन सिस्टम खरीदे जाने थे, जिनकी मारक क्षमता 28-38 किलोमीटर है और इन्हें चीन की सीमा पर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है.
फिर फरवरी में, रक्षा मंत्रालय ने सेना में शामिल किए जा रहे स्वदेशी पिनाका मल्टी-लॉन्च आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम के लिए उच्च विस्फोटक प्री-फ्रैगमेंटेड रॉकेट (45 किलोमीटर रेंज) और एरिया डिनायल म्यूनिशन (37 किलोमीटर) के लिए 10,147 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए. पिनाका को भी दूसरे देशों को निर्यात किया जा रहा है.