Corona Vaccination: दवाओं से रिएक्शन की बीमारी से हैं पीड़ित तो कैसे लगवाएं कोरोना वैक्सीन? मामला पहुंचा कोर्ट
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Corona Vaccination: दवाओं से रिएक्शन की बीमारी से हैं पीड़ित तो कैसे लगवाएं कोरोना वैक्सीन? मामला पहुंचा कोर्ट

Corona vaccination clause: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया था कि किसी व्यक्ति को वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नही किया जा सकता है. भारत सरकार भी कह चुकी है कि टीका लगवाना व्यक्ति के विवेक पर है ना कि बाध्यकारी. इसके बावजूद ये भेदभाव हो रहा है. 

Corona Vaccination: दवाओं से रिएक्शन की बीमारी से हैं पीड़ित तो कैसे लगवाएं कोरोना वैक्सीन? मामला पहुंचा कोर्ट

Delhi unvaccinated teacher case study: दिल्ली (Delhi) में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) नहीं लगवाने की वजह से एक शिक्षक की मुश्किलें इतने बढ़ गईं कि उन्हें कोर्ट जाना पड़ा. इस मामले में सरकारी नियमों की बेबसी कहें या कुछ और क्योंकि उन्हें अभी तक राहत नहीं मिल सकी है. दरअसल कोरोना की वैक्सीन ना लगवाने की वजह से एक प्राइवेट स्कूल के टीचर को स्कूल ने शिक्षा विभाग के आदेश का हवाला देते हुए बिना वेतन घर बैठा (Leave without Pay) दिया है जबकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी कह चुका है टीका लगवाना बाध्यकारी नही है. लेकिन सरकारी नियम लोगों के साथ कैसे भेदभाव कर रहे हैं आइए बताते हैं.

कौन सुनेगा दिल्ली के टीचर का दर्द

भारत मे आज लगभग 90% वयस्क कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की दोनो डोज़ लगवा चुके हैं. आज भी लाखों लोग रोजाना टीका लगवा रहे हैं. इन सबके बीच कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने वैक्सीन की एक डोज भी नहीं लगवाई है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने के लिए मेडिकली (Medically Fit) नहीं हैं. इसके बावजूद कुछ नियम वैक्सीनेटेड (Vaccinated) और अनवैक्सीनेटेड (Unvaccinated) लोगों के बीच में भेदभाव कर रहे हैं. 

कैंसर को हरा दिया लेकिन 'AITCL' को नहीं

देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले 57 वर्षीय केमिस्ट्री टीचर आर एस भार्गव ने साढ़े 4 वर्ष पहले कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को मात दी थी. लेकिन जिस बीमारी को भार्गव आज तक मात नही दे पाये वो है Angio Immunoblastic T-Cell Lymphoma (AITCL). इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति को किसी भी दवा के रिएक्शन (Reaction) या उससे एलर्जी (Allergy) का खतरा रहता है.

दवा ने पहुंचाया था अस्पताल

आज से करीब 5 साल पहले भार्गव ने एक एन्टी-एलर्जिक दवा डॉक्टर की सलाह पर खाई थी लेकिन इस दवा ने उन पर असर करने के बजाए उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया. जब भार्गव का दिल्ली स्थित AIIMS अस्पताल में इलाज हुआ तो उन्हें पता चला कि उन्हें तो AITCL बीमारी है जिसमे उन्हें कोई भी दवा रिएक्शन कर सकती है. और इसमें उनकी जान भी जा सकती है. आज भी भार्गव AITCL के शिकार हैं और यह अब पूरा जीवन उनके साथ रहेगी. लेकिन इस समय आर एस भार्गव की परेशानी AITCL नही हैं बल्कि उनकी परेशानी इस समय सरकारी नियम है. आर एस भार्गव के मुताबिक AITCL की वजह से डॉक्टरों ने वैक्सीन ना लगवाने की सलाह दी है क्योंकि उन्हें रिएक्शन का खतरा है. उन्होंने वैक्सीन नही लगवाई इस वजह से जिस स्कूल में वो 27 साल से पढ़ा रहे हैं उसने दिल्ली सरकार के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें स्कूल आने से मना कर दिया है. 

हाईकोर्ट में लंबित है मामला

साल 2021 में स्कूलों को खोलते समय दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को एक आदेश दिया था कि अगर स्कूल का कोई कर्मचारी वैक्सीन की दोनों डोज नही लगवाता है तो उसे छुट्टी पर भेज दिया जाए. इसी आदेश का हवाला देते हुए दिल्ली के आरकेपुरम स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने नवंबर 2021 में आर एस भार्गव को छुट्टी पर भेज दिया था. अब भार्गव के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है की वैक्सीन वो बीमारी की वजह से नहीं लगवा सकते और बिना वैक्सीन लगवाए उनका स्कूल दिल्ली सरकार के आदेश की वजह से उन्हें ना स्कूल आने देगा और ना ही पूरी तन्ख्वाह देगा. भार्गव के मुताबिक उनके मामले एक और दिलचस्प वाक्या हुआ जब पिछले वर्ष अक्टूबर में दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने उन्हें डॉक्टरों के सर्टिफिकेट और उनकी बीमारी के आधार पर टीका से छूट दी थी लेकिन यह राहत सिर्फ 48 घण्टे की थी और शिक्षा विभाग ने अपने द्वारा दी गयी राहत बिना कारण बताए वापस ले ली. फिलहाल भार्गव ने फरवरी 2022 में दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका डाल रखी है और कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

स्वदेशी वैक्सीन COVAXIN के ट्रायल में अहम भूमिका निभाने वाले दिल्ली स्थित एम्स के प्रोफेसर डॉ संजय राय के मुताबिक पिछले कई वर्षों में वैक्सीन पर वैज्ञानिकों द्वारा की जाने वाली रिसर्च और भारत मे कोरोना की दो बड़ी डेल्टा और ओमिक्रोन वाली लहर से साफ हो चुका है कि वैक्सीन किसी व्यक्ति को कोरोना से नहीं बल्कि कोरोना से होने वाले के गम्भीर रोग और मौत से बचाने में ज्यादा प्रभावी है. भार्गव को दिल्ली के शिक्षा विभाग ने इसी महीने 6 अगस्त को एक पत्र भेजा था जिसमे कहा था कि भार्गव को कोरोना वैक्सीन से छूट देने से स्कूल के बच्चों और टीचरों की जान पर गलत असर पड़ेगा. इस पर डॉ संजय राय ने कहा कि किसी सरकारी विभाग द्वारा ऐसी बात भी कहना कि एक अनवैक्सीनेटेड शख्स बाकी लोगों के जीवन के लिए खतरा बन सकता है यह अवैज्ञानिक तथ्य है. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

इसी वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आदेश दिया था कि किसी व्यक्ति को टीका लगवाने के लिए बाध्य नही किया जा सकता है. दिल्ली हाइकोर्ट में आर एस भार्गव का केस लड़ रहे तिषम्पति सेन के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार दोनो ने राज्य सरकार को कोरोना के सम्बंध में नियम बनाने की छूट दे रखी है जिस कारण कई राज्य सरकारों ने वैक्सीन लगवाना कानूनन बाध्यकारी ना होने के बाद भी सरकारी आदेशो में वैक्सीन ना लगवाने वालो को कुछ जगहों पर प्रतिबंधित किया हुआ है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति वैक्सीन लगवाने के लिए कानूनन बाध्य नही है तो उस पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लगाना कानूनन गलत है और उसके अधिकारों के खिलाफ है.

स्कूल प्रशासन ने साधी चुप्पी

इस पूरे मामले पर जब ज़ी न्यूज़ ने दिल्ली के आरके पुरम स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रिंसीपल पद्मा श्रीनिवास से बात करने की कोशिश की और उनसे जवाब मांगा तो उन्होंने मामला कोर्ट में होने का हवाला देकर किसी भी तरह का जवाब देने से मना कर दिया. इसके साथ दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग से मेल के जरिये हमारी टीम ने जवाब मांगा था लेकिन अब तक कोई भी जवाब दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग की तरफ से हमें नही मिला है.

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