1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में अपीलों पर फैसला सुरक्षित
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1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में अपीलों पर फैसला सुरक्षित

 दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर फैसला सोमवार को सुरक्षित रखा जिसमें कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया गया था. 

दिल्ली हाईकोर्ट.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर फैसला सोमवार को सुरक्षित रखा जिसमें कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया गया था. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने सीबीआई, दंगा पीड़ितों और दोषियों की अपीलों पर दलीलों की सुनवाई पूरी की और पक्षों से कोई लिखित दलील होने पर 22 नवंबर तक देने को कहा. कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसैनिक अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य को एक नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राज नगर इलाके में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे भड़के थे. निचली अदालत ने मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया लेकिन खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा सुनाई और पूर्व विधायक महेंद्र यादव तथा किशन खोखर को तीन साल कैद की सजा सुनाई.

उन्होंने निचली अदालत द्वारा मई 2013 में दोषी ठहराये जाने और सजा सुनाये जाने के फैसले को चुनौती दी थी. सीबीआई ने भी एक अपील दाखिल की और आरोप लगाया कि वे योजनाबद्ध सांप्रदायिक दंगों में शामिल थे.  सीबीआई और पीड़ितों ने कुमार को बरी किये जाने के खिलाफ भी अपील की है.

एक अन्य मामले में उच्च न्यायालय ने 84 के दंगों में मारे गये लोगों के बच्चों या अन्य परिजनों को अनुकंपा आधार पर नौकरी देने के केंद्र सरकार के 2006 के एक सर्कुलर का पालन नहीं करने के आरोप वाली जनहित याचिका पर सोमवार को दिल्ली की आप सरकार से जवाब देने को कहा. इस मामले में अगली सुनवाई चार फरवरी को होगी. 

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