विधानसभा चुनाव परिणाम: AAP के ‘मिशन विस्तार’ को फिर लगा झटका
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विधानसभा चुनाव परिणाम: AAP के ‘मिशन विस्तार’ को फिर लगा झटका

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को हुई मतगणना में देर शाम तक घोषित परिणाम के आधार पर आप को नोटा से कम वोट हासिल हुए. 

विधानसभा चुनाव परिणाम: AAP के ‘मिशन विस्तार’ को फिर लगा झटका

नई दिल्ली:  दिल्ली में सत्तारूढ़ आप का अन्य राज्यों में विस्तार करने की पार्टी की कोशिशों को एक बार फिर करारा झटका लगा है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को हुई मतगणना में देर शाम तक घोषित परिणाम के आधार पर आप करारी हार मिली है.

मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से आप ने 208 पर उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से अधिकांश उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. राज्य में आप को मात्र 0.7 प्रतिशत वोट ही मिले जबकि 1.5 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा को अपनाया. 

'आलोक अग्रवाल को महज 823 वोट ही मिल सके' 
मध्य प्रदेश में आप द्वारा घोषित मुख्यमंत्री पद के दावेदार आलोक अग्रवाल को महज 823 वोट ही मिल सके. नर्मदा बचाओ आंदोलन के सदस्य अग्रवाल भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से किस्मत आजमा रहे थे.

आप ने 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा की 85 सीटों पर, 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा की 41 सीटों पर और 200 सदस्यीय राजस्थान की 142 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये थे. छत्तीसगढ़ में आप को 0.9 प्रतिशत और राजस्थान में मात्र 0.4 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा. आप का मत प्रतिशत इन राज्यों में नोटा के मत प्रतिशत से भी कम है.

इसे आप के मिशन विस्तार के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है. दिल्ली से बाहर पार्टी अब तक सिर्फ पंजाब को छोड़ कर किसी अन्य राज्य में प्रभावी मौजूदगी दर्ज नहीं करा पायी है. पंजाब में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद आप राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी थी. 

क्या कहना है आप के नेताओं का?
अग्रवाल ने चुनाव में आप के निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में कहा ‘हमने चुनाव में स्वयं को भाजपा और कांग्रेस की तरह पेश नहीं किया था. हम भारी भरकम संसाधनों वाली भाजपा और कांग्रेस से अपनी तुलना नहीं कर सकते.’’

इस बीच आप के कुछ नेताओं ने स्वीकार किया कि पार्टी ने इन चुनावों में पूरी शिद्दत से भाग लिया. चुनाव में भागीदारी की कवायद राज्यों में आप के संगठन को एकजुट रखने मात्र तक सीमित थी. 

पार्टी नेतृत्व ने आप नेता दीपक वाजपेयी को राजस्थान में पार्टी का प्रभार सौंप कर राज्य में जोरशोर से चुनाव में भागीदारी की थी. पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के कामों के आधार पर राज्य में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार भी किया लेकिन मतदाताओं ने आप उम्मीदवारों को नकार दिया. 

आप के लचर प्रदर्शन के सवाल पर पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने कहा,‘पार्टी संगठन विस्तार के मकसद से इन चुनावों में उतरी थी और इस मकसद में हम कामयाब हुए.’

तीनों राज्यों में आप उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने के बारे में उन्होंने कहा ‘‘चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि भाजपा को हराना जनता का लक्ष्य है और जो हरा रहा है जनता उसके साथ पूरी ताकत से खड़ी है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये आप दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.’’ 

पार्टी के तेलंगाना के प्रभारी सोमनाथ भारती ने भी कहा कि आप ने राज्य में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे. इसका मकसद संगठन को मजबूत करना था. 

(इनपुट - भाषा)

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