चांदनी चौक: 'आप' के साथ लंबा नहीं रहा अलका का संग; पाले बदले गए, पर चेहरे वही
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चांदनी चौक: 'आप' के साथ लंबा नहीं रहा अलका का संग; पाले बदले गए, पर चेहरे वही

पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इस बार किस पार्टी का आंगन रोशन करेगा ?

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कांग्रेस की छात्रसंघ इकाई NSUI से राजनीति में आने वाली अल्का लांबा ने केजरीवाल की 'सत्ताधारी' पार्टी के मोह में आम आदमी पार्टी ज्वाइन की. लेकिन साथ लंबा नहीं चला और 1984 दंगों को लेकर 'आप' के विधानसभा में लिए गए स्टैंड के दौरान तल्खियां इतनी बढ़ीं कि अल्का लांबा ने बगावत कर दी. अलग स्टैंड लिया और पार्टी से किनारा कर लिया. कांग्रेस में वापस लौटी अलका लांबा को चांदनी चौक से टिकट मिला है.

इस वक्त की बात करें तो इस सीट पर कोई मौजूदा विधायक नहीं है, क्योंकि अल्का लांबा आप की टिकट पर जीतकर पिछले चुनावों में वहां से एमएलए बनी थीं. लिहाज़ा उनके पार्टी छोड़ने के बाद सीट खाली है.

पाले बदले गए, चेहरे वही हैं
चांदनी चौक की सीट इस बार अपनी चटोरी गलियों की ही तरह चटखारे वाले गणित के साथ सबसे अहम सीट है. कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते आए प्रहलाद सिंह साहनी इस बार आप की टिकट पर मैदान में हैं. यानी पाले बदले गए हैं, चेहरे वही हैं.

बीजेपी ने पुराने प्रत्याशी को उतारा
व्यापारियों के चांदनी चौक में व्यापारी वर्ग से आने वाले सुमन गुप्ता को बीजेपी ने टिकट दिया है. पिछली बार अल्का लांबा से तकरीबन 18 हज़ार वोट से हार चुके हैं. सुमन गुप्ता को फिर से टिकट देने का फैसला बीजेपी के लिए काम कर भी सकता है, क्योंकि चांदनी चौक में इस बार दो पहलू हैं.

चांदनी चौक के चुनावी मुद्दे
शहाजहानाबाद रिडेवलेपमेंट प्लान को अमल में लाने यानी चांदनी चौक की सूरत बदलने के चक्कर में लालकिले से फतेहपुरी मस्जिद वाली पूरी सड़क पर खुदाई हो चुकी है. महीनों से बदहाल ये सड़क व्यापारियों और पर्यटकों के लिए मुसीबत बन चुकी है, क्योंकि यहां चलना मुहाल है. लिहाज़ा ग्राहक दूर हैं. शादियों के सीज़न में भी व्यापारी नुकसान में चल रहे हैं. ऐसे में व्यापारियों में सरकार से नाराज़गी है, वहां रहने वाला मध्य वर्ग भी आम आदमी पार्टी से खास खुश नहीं है.

लेकिन दूसरा पहलू है– आम आदमी, गरीब तबके और मुस्लिम बहुल सीट का. ये तमाम पहलू फिलहाल आम आदमी पार्टी के साथ खड़े हैं.

11 फरवरी चलेगा पता
चटखारे और मुगलकाल वाली पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इस बार किस पार्टी का आंगन रोशन करेगा, ये भविष्यवाणी 11 फरवरी से पहले कोई राजनीतिक पंडित नहीं कर पाएगा.

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