अमृतसर रेल हादसा: पत्नी लाइव दिखा रही थी रावण दहन, तभी आ गई ट्रेन...
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अमृतसर रेल हादसा: पत्नी लाइव दिखा रही थी रावण दहन, तभी आ गई ट्रेन...

पंजाब में अमृतसर ट्रेन हादसे के शिकार हुये लोगों के परिजनों को यकीन नहीं हो रहा है कि उनके अपने अब इस दुनिया में नहीं रहे.

घायलों में अधिकांश लोगों के सिर और पैरों में चोट लगी थी.(फोटो- Reuters)

अमृतसर: पंजाब में अमृतसर ट्रेन हादसे के शिकार हुये लोगों के परिजनों को यकीन नहीं हो रहा है कि उनके अपने अब इस दुनिया में नहीं रहे. यहां के निवासी विजय कुमार वह दृश्य याद कर अभी भी सिहर उठते हैं जब उन्होंने अपने 18 साल के बेटे के कटे हुए सिर की फोटो अपने व्हाट्सएप पर तड़के तीन बजे देखी. विजय के दो बेटो में से एक आशीष भी घटनास्थल पर था. उसकी जान बच गई लेकिन दूसरा बेटा मनीष उतना खुशकिस्मत नहीं निकला. विजय को जब इस हादसे का पता चला तो वह अपने बेटे की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे लेकिन कुछ पता नहीं चला.

फिर अचानक उनके फोन के व्हाट्सएप पर एक फोटो आई जिसमें उनके बेटे का कटा हुआ सिर था. इस तलाश में उन्हें एक हाथ और एक पैर मिला लेकिन वह उनके बेटे का नहीं था. रूंधे गले से विजय बताते हैं, ‘‘मनीष नीली जींस पहने हुए था, यह पैर उसका नहीं हो सकता. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई. ’’ इस ह्रदय विदारक घटना के समय वहां मौजूद रहीं सपना को सिर में चोट आई है.  उन्होंने बताया कि वह रावण दहन का घटनाक्रम व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए अपने पति को दिखा रही थीं.  जब पुतले में आग लगी तो लोग पीछे हटने लगे और पटरियों के करीब आ गये. 

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जब ट्रेन करीब पहुंच रही थी तो लोग पटरी खाली करने लगे और दूसरी पटरी पर आ गये.  इतने में एक और ट्रेन तेज गति से वहां आ गई और फिर भगदड़ मच गई. सपना ने इस हादसे में अपनी रिश्ते की बहन और एक साल की भांजी को खो दिया.  वह बताती हैं कि अफरातफरी में लोग इधर उधर भागने लगे और बच्ची पत्थरों पर जा गिरी और उसकी मां को लोगों ने पैरों तले रौंद दिया. उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी और दिहाड़ी मजदूर 40 साल के जगुनंदन को सिर और पैर में चोट आई है. 

उन्होंने बताया कि वह घटना के समय पटरियों पर नहीं थे लेकिन जब रावण जलने लगा तो आगे की तरफ मौजूद भीड़ पीछे हटने लगी और वह भी धक्का लगने से पीछे हो गए. अपनी मां परमजीत कौर के साथ रावण दहन देखने गई सात साल की खुशी की आंखों के सामने वह दर्दनाक मंजर अभी भी तैर रहा है. वह उस वक्त पटरियों पर गिर गई थी और उसे सिर में चोट लग गई.

घायल हुये कई लोगों ने उस क्षण को याद करते हुये बताया कि उन्हें वहां आ रही ट्रेन का हॉर्न सुनाई नहीं दिया. एक और ट्रेन कुछ देर पहले ही वहां से गुजरी थी. पटाखों के शोर में ट्रेन की आवाज दब गई.  बिहार के गोपालगंज के रहने वाले 35 साल के दिहाड़ी मजदूर मोतीलाल ने बताया कि वह पटरी के किनारे खड़ा था, अचानक लोग इधर-उधर भागने लगे और ये सब इतनी तेजी से हुआ कि संभलने का मौका नहीं मिला.

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एक अन्य दिहाड़ी मजदूर जितेंद्र की 23 साल की पत्नी संदीप को सिर में घातक चोट लगी है.  वह अपने दो बच्चों और ससुर के साथ रावण दहन देखने गई थी.  जितेंद्र ने बताया कि ट्रेन बिजली की तेजी से आई और वहां मौजूद लोगों में भगदड़ मच गई. इसमें उसकी छह साल की लड़की, तीन साल का बेटा और ससुर हमेशा के लिए उससे दूर हो गए.

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गुरूनानक अस्पताल के सर्जरी विभाग के प्रभारी डॉ राकेश शर्मा ने बताया कि उनके यहां 20 मृतक लाये गये.  घायलों में अधिकांश लोगों के सिर और पैरों में चोट लगी थी. डॉ मयंक ने बताया कि घायलों में अधिकांश लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं. 80 से 90 डाक्टरों को आपातकालीन डयूटी पर लगाया गया है और वे दिन-रात काम कर रहे हैं.  कुछ अन्य लोगों को पीजीआई चंड़ीगढ़ और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.  

इनपुट भाषा से भी 

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