PM के विकास वाली राजनीति को कॉपी करके केजरीवाल बने अरविंद 'मोदीवाल'!
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PM के विकास वाली राजनीति को कॉपी करके केजरीवाल बने अरविंद 'मोदीवाल'!

वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी विकास और गुजरात मॉडल की बात करके देश के प्रधानमंत्री बने. इसके फौरन बाद जब दिल्ली में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए तो केजरीवाल ने भी विकास और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बातें की और 70 में 67 सीटें जीत लीं.

PM के विकास वाली राजनीति को कॉपी करके केजरीवाल बने अरविंद 'मोदीवाल'!

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरी बार रिकॉर्ड सीटें जीतकर इतिहास रचा है. यदि इस पूरे चुनावी मैच को देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल ने जिस खिलाड़ी की परफ़ॉर्मेंस को शायद सबसे करीब से देखा और समझा...उनका नाम है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी विकास और गुजरात मॉडल की बात करके देश के प्रधानमंत्री बने. इसके फौरन बाद जब दिल्ली में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए तो केजरीवाल ने भी विकास और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बातें की और 70 में 67 सीटें जीत लीं.

वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर अपने कामकाज पर वोट मांगे. देश की जनता ने उनको प्रचंड बहुमत दिया. अब दिल्ली चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने भी एक बार फिर से अपने कामकाज का हवाला देकर ही जनता से वोट मांगे और उन्हें एक बार फिर शानदार जीत हासिल हुई. अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी की परफ़ॉर्मेंस को बहुत करीब से देखा..उसका विश्लेषण किया उनके सारे राजनीतिक शॉट्स को बार-बार Replay करके देखा और वही सारे Shots लगाए जो नरेंद्र मोदी लगाया करते हैं. इस तरह नरेंद्र मोदी के विकास वाली राजनीति को कॉपी करके अरविंद केजरीवाल अब अरविंद  'मोदीवाल' बन गए हैं जो मोदी के विरोधी तो हैं लेकिन राजनीति में उन्हीं के रास्ते पर चलना चाहते हैं.

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दिल्‍ली चुनावों की ABCD
अब आपको इन नतीजों की ABCD समझाते हैं. यहां A का मतलब है आम आदमी पार्टी, B का मतलब है बीजेपी, C का मतलब है कांग्रेस और D का मतलब है दिल्ली की जनता. A यानी आम आदमी पार्टी की इस जीत को आप पांच प्वाइंट्स में समझ सकते हैं:
1. आम आदमी पार्टी ने भी बीजेपी की तर्ज पर चलते हुए दिल्ली में TINA Factor के तहत चुनाव प्रचार किया. TINA का मतलब होता है There Is No Alternative यानी जब किसी नेता के सामने कोई विकल्प ही ना हो. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने कोई विकल्प नहीं था. ठीक उसी तरह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने कोई विकल्प नहीं था. अरविंद केजरीवाल ने अपने कामकाज और विकल्पहीनता की स्थिति का फायदा उठाकर खुद को दिल्ली के एक ऐसे नेता के तौर पर स्थापित किया जिसका विकल्प ढूंढना फिलहाल मुश्किल है.

2. जो अरविंद केजरीवाल कभी..मुखर होकर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के खिलाफ बोला करते थे..उन्होंने इस बार मोदी के खिलाफ कोई ऐसा बयान नहीं दिया..जिससे लोकसभा में मोदी को वोट देने वाला वोटर नाराज़ हो जाए बल्कि जब पाकिस्तान के नेताओं की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ टिप्पणियां की गईं तो केजरीवाल ने इन नेताओं को कड़ा जवाब दिया.

3. अरविंद केजरीवाल ने अपनी मुफ्त योजनाओं का प्रचार जमकर किया. हर परिवार को प्रतिदिन 700 लीटर मुफ्त पानी, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा जैसी योजनाएं अरविंद केजरीवाल के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हुईं. इस योजनाओं की मदद से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के करीब 80 प्रतिशत लोगों तक सीधी पहुंच बनाई.

4. आम आदमी पार्टी और खासकर अरविंद केजरीवाल ने ना तो सीधे तौर पर शाहीन बाग का विरोध किया और ना ही खुलकर समर्थन किया. बीजेपी की तरफ से डाली जा रही इस फुल टॉस गेंद पर अगर अरविंद केजरीवाल आगे बढ़कर कोई विवादित बयान देते तो वो Clean bold भी हो सकते थे लेकिन केजरीवाल ने सावधानी बरती और मौका लगते ही ऐसी गेंदों पर छक्के जड़ना शुरू कर दिया.

5. अरविंद केजरीवाल ने अपनी इस जीत के लिए मोदी मॉडल को ही अपनाया...यानी जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने विकास के नाम पर पहले 2014 औऱ फिर 2019 में अपनी पार्टी को जीत दिलाई..उसी तरह के मॉडल का प्रयोग करके अरविंद केजरीवाल दोबारा भी इतने भारी बहुमत से जीते हैं.

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