आशीष खेतान ने आखिरकार बता ही दी आम आदमी पार्टी से अलग होने की वजह
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आशीष खेतान ने आखिरकार बता ही दी आम आदमी पार्टी से अलग होने की वजह

समझा जाता है कि खेतान ने भी गत 15 अगस्त को ही ई मेल के जरिये आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा भेज दिया था. 

हालांकि केजरीवाल या पार्टी की तरफ से आशीष खेतान के इस्तीफे पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है.

नई दिल्ली: आप नेता आशीष खेतान ने भी आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ दिया है. इससे पहले गत 15 अगस्त को पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने भी आप से इस्तीफा दे दिया था. खेतान ने बुधवार को सोशल मीडिया के जरिये से अपने इस्तीफे की पुष्टि की. चुनावी राजनीति से दूरी बनाने को पार्टी से अपने इस्तीफे की मुख्य वजह बताया है. आशीष ने ट्वीट किया, 'मैंने दिल्‍ली डायलॉग कमिशन से अप्रैल में ही इस्‍तीफा दे दिया था, ताकि वकालत के पेशे से जुड़ सकूं. बस इतना ही. अफवाहों में दिलचस्पी नहीं है.'

समझा जाता है कि खेतान ने भी गत 15 अगस्त को ही ई मेल के जरिये आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा भेज दिया था. हालांकि इस पर अभी तक केजरीवाल या पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है. आशीष ने चुनावी राजनीति से दूरी बनाने के अपने निर्णय को इस्तीफे की मुख्य वजह बताया है. उन्होंने कहा कि इस साल के शुरू में ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से खुद को अलग करने का फैसला कर लिया था. खेतान ने फेसबुक पर कहा "पिछले दो सालों से मैं इस असमंजस में था कि मुझे चुनावी राजनीति में रहना है या नहीं. इस विषय में परिवार और करीबी दोस्तों के साथ सलाह मशविरे के बाद मैंने इस साल के शुरू में सक्रिय राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया था."

उन्होंने स्पष्ट किया ‘‘हालांकि तभी से पार्टी और दिल्ली सरकार में लगातार कुछ न कुछ परेशानी का दौर चल रहा था, इसलिए मुझे अपने फैसले की औपचारिक घोषणा के लिये उपयुक्त समय का इंतजार था. मैंने इससे पहले भी पार्टी नेतृत्व को अपने फैसले से अवगत करा दिया था.’’ खेतान ने कहा कि पार्टी से उनके दूर होने को पार्टी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. खेतान ने पार्टी के अपने पूर्व सहयोगियों को भविष्य की शुभकामनायें देते हुये कहा "मेरे मन में पार्टी के पूर्व सहयोगियों के प्रति सम्मान बरकरार रहेगा और भविष्य के उनके प्रयासों के लिए गुड लक." 

वकालत पर ध्यान देना चाहते हैं खेतान
खेतान ने कहा कि वह वकालत के पेशे पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस वजह से उन्हें सक्रिय राजनीति से अलग रहना पड़ेगा. उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने संबंधी मीडिया में आई खबरों के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट कर कहा, "मैंने वकालत शुरु करने के लिए ही गत अप्रैल में दिल्ली संवाद आयोग (डीडीसी) के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था."

उन्होंने सिर्फ इसी एक वजह को हकीकत बताते हुए कहा कि बाकी सब अफवाह है. इन अफवाहों में उनकी कोई रुचि नहीं है. उल्लेखनीय है कि आशुतोष ने भी ‘नितांत निजी कारण’ बताते हुए आप से इस्तीफा दिया है. अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली की सात सीटों के लिए पुख्ता रणनीति बनाने में जुटे आप नेतृत्व के लिये पिछले चुनाव के दो उम्मीदवारों का पार्टी से इस्तीफा देना, परेशानी का कारण बन सकता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में आशुतोष दिल्ली की चांदनी चौक और खेतान नई दिल्ली सीट से आप के उम्मीदवार थे. पार्टी सूत्रों के मुताबिक दोनों नेता हाल ही में दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों के लिये हुए चुनाव में सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से नाराज चल रहे हैं. 

इस बीच, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा चांदनी चौक सहित दिल्ली की पांच सीटों के लिए संभावित उम्मीदवर के रूप में पार्टी के पांच प्रभारियों के चयन ने इनके असंतोष को बढ़ा दिया. आप के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि आप नेतृत्व का यह फैसला आशुतोष और खेतान की तल्खी को बढ़ाने वाला साबित हुआ, क्योंकि दोनों नेता अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे. इस बीच खेतान ने किसी लोकसभा सीट के प्रति उनके झुकाव या इससे जुड़ी उनकी नाराजगी संबंधी आशंकाओं को ‘दुर्भाग्यपूर्ण अफवाह’ मात्र करार दिया. उन्होंने कहा ‘‘पार्टी ने मुझसे विनम्रतापूर्वक अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा था लेकिन मैंने शिष्टतापूर्वक मना कर दिया.’’ 

हालांकि केजरीवाल की अध्यक्षता वाली पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने इन नेताओं के इस्तीफे पर अभी कोई फैसला नहीं किया है. केजरीवाल के एक सहयोगी ने दोनों नेताओं की निजी कारणों की दलील से सहमति जताते हुये कहा कि संगठन के लिये सक्रिय तौर पर काम नहीं कर पाने की इनकी मजबूरी से पार्टी नेतृत्व अवगत है. इसके मद्देनजर पीएसी, इन दोनों नेताओं से आप से अलग होने के बजाय पार्टी से जुड़े रहने की अपील कर सकती है. 

केजरीवाल के कई साथी छोड़ चुके हैं साथ
इससे पहले आप के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, शाजिया इल्मी और प्रो. आनंद कुमार सहित अन्य नेता केजरीवाल की कार्यशैली से खफा होकर आप से अलग हो चुके हैं. खेतान के इस्तीफे हवाला देते हुए भूषण ने केजरीवाल का नाम लिये बिना उनकी कार्यशैली पर हमला किया. भूषण ने ट्वीट कर कहा "उच्च आदर्शों के साथ आप को बनाने वाले या इससे जुड़कर निराशा में अलग होने वालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. यह बड़ी उम्मीदों वाला आंदोलन था. यह महज एक आदमी की बेशर्म महत्वाकांक्षाओं और विचारों की कमी के कारण नष्ट हो गया. एक संगठन या आंदोलन को कैसे नष्ट किया जाए, यह इसका एक जीता जागता उदाहरण है." 

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