बेल्जियम में गूंजेगी अब हरियाणा की अंजलि की किलकारी, गोद लेने आए विदेशी दंपति
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बेल्जियम में गूंजेगी अब हरियाणा की अंजलि की किलकारी, गोद लेने आए विदेशी दंपति

अब अंजलि को मां की ममता की छांव और एक पिता की ढाल जरूर नसीब होगी.

लावारिश हालत में मिली बिटिया को एक बेल्जियम दंपती ने आज गोद ले लिया है.

कैथल (विपिन शर्मा): जिले के बाल उपवन संस्था में पल रही एक असहाय बेटी अंजलि के लिए आज का दिन खुशनशीब साबित हुआ. असहाय और लावारिश हालत में मिली बिटिया को एक बेल्जियम दंपति ने आज गोद ले लिया है. उम्मीद है अब अंजलि को मां की ममता की छांव और एक पिता की ढाल जरूर नसीब होगी.

अंजलि को गोद लेने के लिए बेल्जियम से पहुंचे इस दंपति ने एक लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस बेटी को प्राप्त कर लिया है. आज बाल उपवन संस्था , सनातम धर्म मन्दिर के पदाधिकारी, जिला बाल संरक्षण विभाग के अधिकारी और जिला विधिक सेवा के सिविल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कौर की उपस्थिति में अंजलि को बेल्जियम दंपति के हवाले कर दिया गया.

गौरतलब है कि बेल्जियम दंपति निजक्रस्ट और मार्टिन ने कैथल के सनातम धर्म संस्था द्वारा संचालित बाल उपवन संस्था में पल रही अंजलि को भारतीय संस्था कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्सेस एजेंसी ) की मदद से गोद लेने की इच्छा जताई थी. CARA से अनुमति मिलने के बाद दंपति एक लंबी प्रकिर्या बाद अंजलि को लेने कैथल पहुंचा और आखिरकार उन्होंने अंजलि को गोद ले लिया.
 
दरअसल, अंजलि को जन्म देने वाली मां के बारें में कुछ अता-पता नहीं है. बताया जाता है अंजलि को कुरुक्षेत्र में सुनसान इलाकों में झाड़ियों से बरामद किया गया था, जिसके बाद से अंजलि का पालन-पोषण बाल उपवन कैथल द्वारा किया जा रहा था. सनातम धर्म मंदिर द्वारा संचालित बाल उपवन में पली-बढ़ी अंजलि को गोद लेने वाली मां मार्टिन और पिता निजक्रस्टबल्जियम की एक संस्था में काम करते हैं. मार्टिन और निजक्रस्ट ने पहले से दो बच्चे होने के बावजूद अंजलि को गोद लेने की इच्छा जताई थी. दंपति ने गोद लेने की लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राहत की सांस लेते हुए आज के दिन को खुद के लिए बड़ा दिन बताया.  
 
बेल्जियम से आए दंपति मॉर्टिन पत्रकार ने पूछा कि आप भारत से ही बेटी लेने क्यों क्यों सोचा और इसलिए आप देखभाल करेंगे इसकी क्या गारंटी है? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि उनके देश के कानून के हिसाब से 2 बच्चों से ज्यादा वह पैदा नहीं कर सकते और उनका मानना है कि बेटी से ही परिवार होता है तो उन्होंने समाज सेवी संस्था के माध्यम से भारत से बेटी को गोद लेना उचित समझा.

संस्था के प्रधान रवि भूषण ने बताया कि बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक है. इंटरनेशनल संस्था कारा देश-विदेश में बच्चों को गोद लेने का काम करवाती है जब यह बच्ची वहां चली जाएगी तो हर 3 महीने बाद संस्था इस चीज का ध्यान रखेगी कि बच्चे की देखभाल ठीक से हो रही है और हमने भी बेल्जियम दंपति के परिवार की फोटो और वीडियो देखिए से भी उनकी पुष्टि करवाई है. अच्छे लोग हैं. उसके बावजूद भी हम इस बात की जांच रखेंगे कि हमारी भारत की बेटी बेल्जियम में सुरक्षित है और अच्छे से है.

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