जल्द ही एक और स्टीम इंजन को जिन्दा करेगा रेलवे, आम लोग कर सकेंगे सवारी
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जल्द ही एक और स्टीम इंजन को जिन्दा करेगा रेलवे, आम लोग कर सकेंगे सवारी

रेलवे के इकलौते चलते फिरते स्टीम के इंजनों वाले लोकोशेड 'रिवाड़ी स्टीम लोको शेड' के परिवार में जल्द ही एक और चलता फिरता इंजन जुड़ने वाला है. भुसावल से एक नया स्टीम इंजन यहां लाए जाने की तैयारी है.

 

 

 

 

 

रेवाड़़ी़ लोकोशेड में जल्द लाया जाएगा एक और स्टीम इंजन (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : रेलवे के इकलौते चलते फिरते स्टीम के इंजनों वाले लोकोशेड 'रिवाड़ी स्टीम लोको शेड' के परिवार में जल्द ही एक और चलता फिरता इंजन जुड़ने वाला है. भुसावल से एक नया स्टीम इंजन यहां लाए जाने की तैयारी है. इस इंजन को फैरी क्वीन की तर्ज पर दिल्ली के आसपास चलाए जाने की तैयारी है. यह इंजन अगले सप्ताह भुसावल से रिवाड़ी लोको शेड पहुंच जाएगा. इसके बाद इस इंज को चलाए जाने की योजना पर काम किया जाएगा. 

  1. रेवाड़़ी़ लोकोशेड में जल्द लाया जाएगा एक और स्टीम इंजन 
  2. भुसावल से लाया जा रहा है एक और स्टीम इंजन 
  3. इस स्टीम इंजन को आम लोगों के लिए भी चलाया जाएगा 

देश में ही बना था ये इंजन
भुसावल मंडल से लाया जा रहा यह स्टीम इंजन डब्लूसी 10253 नाम से जाना जाता है. काफी लम्बे समय तक इस इंजन का प्रयोग भुसावल मंडल में किया गया. इस इंजन को 1955 में चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप में बनाया गया था. 1992 में इस स्टीम इंजन का परिचालन बंंद कर दिया गया था. तब से यह इंजन भुसावल मंडल में ही रखा गया था. 

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पिछले वर्ष शुरू हुआ था इसे फिर से जिन्दा करने का काम 
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी के निर्देशों के बाद इस इंजन को फिर से चलने योग्य बनाने के लिए अध्ययन व प्लानिंग का काम 01 सिम्बर 2017 को शुरू किया गया. इस इंजन को ठीक करने के लिए पुर्जे खोजना किसी चुनौती से कम नहीं था. इसके बावजूद काफी प्रयासों के बाद 11 मई 2018 को इस इंजन को चलने लायक बनाने का काम शुरू हुआ. अब यह इंजन दिल्ली लाए जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है. रिवाडी स्टीम लोगों शेड पहुंचने के बाद इसमें आवश्यकता अनुसार सुधार कर के इसे चलाने लायक बना दिया जाएगा. रेलवे इस इंजन को फेरी क्वीन की तर्ज प चलाने की तैयारी कर रहा है. 

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फेरी क्वीन की आज भी लोग करते हैं सवारी 
फेरी क्वीन दुनिया के सबसे पुराने कुछ चलते फिरते स्टीम इंजनों में शामिल है. इस स्टीम इंजन को रेलवे की ओर से आम लोगों के लिए दिल्ली कैंट से रेवाड़ी के बीच चलाया जाता है. इस इंजन का निर्माण 1855 में किया गया था. आम लोगों को स्टीम इंजनों के प्रति जागरूक करने के लिए इस इंजन को चलाया जाता है. इस इंजन के साथ दो बोगी जोड़ी जाती है. इनमें लगभग 60 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है. यात्रियों से एक निश्चित शुल्क भी किराए के तौर पर लिया जाता है.   

 

 

 

 

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