दिल्ली दंगों पर सुनवाई करने वाले जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर, केंद्र ने जारी की अधिसूचना
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दिल्ली दंगों पर सुनवाई करने वाले जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर, केंद्र ने जारी की अधिसूचना

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश 12 फरवरी 2020 को केंद्र सरकार को भेजी थी.

जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया है.

नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) पर सुनवाई करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस मुरलीधर का तबादला पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट किया गया. केन्द्र सरकार ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर की अधिसूचना (Notification) जारी की. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश 12 फरवरी 2020 को केंद्र सरकार को भेजी थी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, कहा- दोबारा नहीं होने देंगे 1984 जैसे हालात
बुधवार (26 फरवरी) को दिल्ली हिंसा पर हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बेहद सख्त टिप्पणी की. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, 'दिल्ली में एक और 1984 नहीं होने देंगे. दिल्ली हिंसा पर कड़े कदम उठाने की जरूरत है. लोगों को भरोसा होना चाहिए कि वो जहां हैं, वहां सुरक्षित हैं.' 

हाई कोर्ट ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी प्रवीर रंजन (स्पेशल कमिश्नर) से कहा है कि आप जाइए कमिश्नर को बताइए कि हम चाहते हैं कि FIR दर्ज़ हो, हम दुखी हैं इन हालातों से और हम नहीं चाहते कि 84 दंगे जैसे हालात बनें.

जितने भी भड़काऊ वीडियो हैं उनमें मामला दर्ज कीजिए. कल फिर सुनवाई होगी. आज सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आप के पास ऐसे और वीडियो भी हैं तो उनपर भी आपने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. आप कब कार्रवाई करेंगे जब पूरा शहर जल जाएगा. पुलिस की ये ड्यूटी है कि वो जनता की सुरक्षा करे. कोर्ट ने कहा कि कितनी और मौतों का इंतज़ार रहेगा. 

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि हम 1984 को दोहराने नहीं देंगे. कोर्ट इस बात की निगरानी करेगा कि दिल्ली में 1984 रिपीट न हो और पुलिस को भी इस बात की निगरानी करनी होगी.  कोर्ट ने कहा कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है, हर पीड़ित के पास राज्य के बड़े से बड़े अधिकारी जाएं.  जिन परिवारों को नुकसान हुआ है उनमें भरोसा पैदा किया जाए. 

सुनवाई करते हुए जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि सरकार को विश्वास बहाली के कदम उठाने चाहिए. लोगों में अगर ये डर है कि अपने घर नहीं लौट सकते, ख़त्म होना चाहिए. सरकारी मशीनरी को हर पीड़ित से संपर्क करना चाहिए. ये ऐसा देश है, जहां अलग-अलग धर्म, संस्कृति के लोग रहते है. हम कोर्ट और पुलिस की निगरानी में दूसरे 1984 के दंगो होने की इजाज़त नहीं दे सकते. हमें सतर्क रहने की ज़रूरत है. याचिकाकर्ताओं की मांग पर जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि हम डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को कहेंगे कि वो अगले दो हफ्ते के लिए रात के लिए मजिस्ट्रेट नियुक्‍त करे. 

दिल्‍ली पुलिस को फटकार लगाते हुए जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि अगर ऑथोरिटी चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है. ऐसा लगता है कि पुलिस ड्यूटी निभाने के लिए आदेश का इतंज़ार कर रही थी. कोर्ट ने पुलिस से यह भी पूछा कि क्या मौजूदा हालात को देखते हुए अलग से कोई हेल्प लाइन हो सकती है?

क्या शहर में सिविल डिफेंस वालंटियर है? कोर्ट ने कहा कि हमें IB अफसर पर हमले की जानकारी मिली है. इन चीज़ों पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि दंगों में मारे गए लोगों के शव का अंतिम संस्कार के लिए सुरक्षित ले जाने के लिए पुलिस घरवालों से बात करे. 

दंगों में विस्थापित लोगों के लिए शरण की व्यवस्था होनी चाहिए.  इन शेल्टर में पानी, कंबल, सेनिटेशन जैसी बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए. लेकिन इसके लिए अभी शेल्टर में रह रहे लोगों को हटाने की ज़रूरत नहीं है.  वहीं सभी डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के दफ्तर में 24 घंटे हेल्प डेस्क की व्यवस्था होनी चाहिए. कोर्ट ने वकील जुबेदा बेगम को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा (Kapil Mishra) का वीडियो भी दिखाया गया. बता दें कि हिंसा पर कपिल मिश्रा के एक बयान के बाद हंगामा हो गया था. दरअसल जज ने सॉलिसिटर जनरल समेत एक पुलिस अधिकारी से पूछा कि क्या आपने वीडियो देखे हैं? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैंने नहीं देखा.

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वहीं पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने कपिल मिश्रा का वीडियो नहीं देखा है. इस पुलिस अधिकारी का नाम डीसीपी राजेश देव है. इसके बाद जज ने कहा कि हम उस वीडियो को यहां चलाएंगे और फिर हाई कोर्ट में कपिल मिश्रा का वीडियो चलाया गया. वीडियो चलने के बाद जस्टिस मुरलीधर ने कहा, 'वह (कपिल मिश्रा) अपने नजदीक खड़े डीसीपी से बात कर रहे हैं.' 

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