मुख्य सचिव मारपीट मामला: चार्जशीट साझा करने से रोक की मांग पर कोर्ट का दिल्ली पुलिस को नोटिस
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मुख्य सचिव मारपीट मामला: चार्जशीट साझा करने से रोक की मांग पर कोर्ट का दिल्ली पुलिस को नोटिस

दिल्ली पुलिस ने सील कवर में 1533 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.चार्जशीट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी बनाया गया था.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में केजरीवाल और आप विधायकों की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी. दरअसल, याचिका में दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई है कि वो चार्जशीट की सामग्री मीडिया के साथ साझा न करे.याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट की जानकारी साझा कर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के चरित्र की हत्या कर रही है.आपको बता दें कि सोमवार को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

दिल्ली पुलिस ने सील कवर में 1533 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.चार्जशीट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी बनाया गया था, इसके अलावा 11 विधायकों को भी आरोपी बनाया गया था, कुल 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाख़िल की गई थी. इन 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साज़िश रचने और 2 विधायक अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल पर मारपीट का आरोप लगाया गया था.एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की अदालत ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए 25 अगस्त की तारीख तय की थी.

दरअसल, यह घटना 19 फरवरी 2018 की है जब रात करीब 12 बजे मुख्य सचिव को केजरीवाल के आवास पर राशन कार्ड व अन्य मुद्दों पर मीटिंग के लिए बुलाया था.आपको बता दें कि किसी मुख्यमंत्री के आवास पर मुख्य सचिव के पद पर आसीन अफसर से मारपीट का भी यह पहला मामला था.दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश का आरोप था कि इस दौरान कुछ आप नेता गुस्से में आ गए और उनके साथ हाथापाई की.उनका आरोप था कि इस पूरी घटना के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वहां मौजूद थे और वह तमाशा देखते रहे.उस दिन के बाद से ही दिल्ली के अफसरों ने सरकार के मंत्रियों से मिलना बंद कर दिया था.वह दफ्तर तो आते हैं पर विधायकों या मंत्रियों की बैठक में नहीं पहुंचते. इसी के चलते केजरीवाल व उनके तीन सहयोगियों मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और गोपाल राय ने 10 दिनों तक एलजी दफ्तर में धरना भी दिया. 

इस दौरान सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया तो आमरण अनशन पर भी रहे. जिसके बाद इनकी तबियत खराब होने पर इन दोनों को अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ा था. केजरीवाल के इस धरने के विरोध में विपक्ष के नेता और आप के बागी नेता कपिल मिश्रा भी केजरीवाल के दफ्तर पर धरने पर बैठे रहे. 

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