PM मोदी का 'सपना' सच करेंगे CM केजरीवाल, शुद्ध हो जाएगी दिल्‍ली की आबो-हवा
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PM मोदी का 'सपना' सच करेंगे CM केजरीवाल, शुद्ध हो जाएगी दिल्‍ली की आबो-हवा

दिल्‍ली में बीते दिनों राजस्थान से आकर छाने वालेे धूल के गुबार से निपटने के लिए उपाय किया जाएगा.

जून में राजस्थान से आकर दिल्ली के ऊपर धूल का गुबार छा गया था. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्‍लीवासियों को अब धूल का गुबार परेशान नहीं करेगा. बीते दिनों राजस्थान से आकर दिल्ली के ऊपर छाने वाले धूल के गुबार से निपटने के लिए अब राष्‍ट्रीय राजधानी को 30 लाख पौधों की दीवार से घेरा जाएगा. इस काम में केंद्र व दिल्‍ली सरकार की एजेंसियों ने 50 किस्म के देसी पेड़ों की दीवार से राजधानी की 3 ओर से घेराबंदी शुरू कर दी है. इसमें यमुना तट और अरावली वन क्षेत्र को घेरते हुए दिल्ली से सटे यूपी, हरियाणा और राजस्थान की सीमा तक लगभग 31 लाख पेड़ों से नैसर्गिक अवरोधक (नेचुरल बैरियर) बनाया जाएगा. 

  1. राष्‍ट्रीय राजधानी को 30 लाख पौधों की दीवार से घेरा जाएगा
  2. योजना में नेचुरल बैरियर के लिये पर्याप्त घने पेड़ लगाए जाएंगे
  3. 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पीपल के पेड़ सबसे ज्‍‍‍‍यादा लगेंगे

गूलर, आम और महुआ के 30 लाख पौधे लगेंगे
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना के दो मकसद हैं. पहला, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायुप्रदूषण के लिये जिम्मेदार पार्टिकुलेट तत्वों (पीएम 2.5 और पीएम 10) को देसी पेड़ों द्वारा अवशोषित करना. दूसरा मकसद, हर साल पश्चिमी विक्षोभ के कारण राजस्थान में आने वाली आंधी से जनित धूल के गुबार की दमघोंटू परत से दिल्ली को बचाना है. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित इस योजना में नेचुरल बैरियर के लिये पर्याप्त घने और अधिक ऊंचाई वाले पिलखन, गूलर, आम और महुआ सहित देसी पेड़ों को चुना गया है. ये वृक्ष वायुमंडल में हवा के कम दबाव के क्षेत्र के कारण अतिसूक्ष्म धूलकणों को ऊपर उठने से रोकते हैं. साथ ही धूलभरी आंधी में उड़कर आने वाले धूलकणों को भी ये पेड़ जमीन से कुछ मीटर की ऊंचाई पर संघनित होने से रोकते हैं.

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24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पीपल के पेड़ भी लगेंगे
पीपल, नीम, बरगद, बेर, आंवला, जामुन, अमलताश, हर्र और बहेड़ा सहित अन्य प्रजातियों के ऐसे वृक्ष भी इसमें शामिल हैं जो सामान्य से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ते हैं. इनमें 24 घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पीपल के सर्वाधिक पेड़ लगाये जायेंगे. विभाग के निदेशक डा. अनिल कुमार ने बताया कि धूल और हवा में घुले सूक्ष्म दूषित तत्व, साल भर हरे-भरे रहने वाले स्थानीय पेड़ों की पत्तियों पर आसानी से जमा हो जाते हैं. पत्तियों पर जमा दूषित तत्व बारिश होने पर मिट्टी में समा जाते हैं. इसलिये यह तरीका दिल्ली के वायु प्रदूषण से निपटने में कारगर और स्थायी समाधान साबित हो सकता है.

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दो साल में पूरी हो जाएगी परियोजना
इस परियोजना को दिल्ली सरकार का वन विभाग दो साल के भीतर अंजाम देगा. दिल्ली वन संरक्षक कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 7 जुलाई से इस योजना की औपचारिक शुरुआत हो गई है. स्थानीय परिस्थितियों में जल्द पनपने की प्रवृत्ति वाले देसी पेड़ दिल्ली के मौलिक पर्यावास को भी बहाल करेंगे. इसके तहत केन्द्रीय एजेंसी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी), दिल्ली मेट्रो, उत्तर रेलवे और दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग, वन विभाग और नयी दिल्ली पालिका परिषद (एनडीएमसी) सहित तीनों नगर निगम (एमसीडी) अपने क्षेत्राधिकार वाले इलाकों में ये पेड़ लगाएंगे.

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वन महोत्‍सव 15 जुलाई से शुरू
सभी एजेंसियां बारिश के मौसम में 15 जुलाई से 15 सितंबर तक वन महोत्सव के दौरान सघन वृक्षारोपण अभियान चलाएंगी. इनमें 21 लाख देसी पेड़ और दस लाख झाड़ीनुमा पेड़ (कनेर, गुड़हल, बहुनिया और चांदनी आदि) लगाए जाएंगे. इनमें 4.22 लाख पेड़ वन विभाग, 4 लाख पेड़ तीनों एमसीडी, 3 लाख पेड़ एनडीएमसी, 35 हजार पेड़ सीपीडब्ल्यूडी और 8.75 लाख पेड़ डीडीए लगाएगा. सभी एजेंसियां दो साल तक इनका सघन पोषण करेंगी. इसके बाद इनकी सामान्य निगरानी करते हुये स्वतंत्र एजेंसी से पेड़ों के विकास की लेखा-परीक्षा (सर्वाइवल ऑडिट) करायी जाएगी. इसका मकसद पेड़ों के जीवित बचने की जांच करना है. स्वतंत्र एजेंसी के रूप में देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) द्वारा सर्वाइवल ऑडिट की प्रक्रिया मार्च 2019 से शुरू कराने का प्रस्ताव है. इसकी ऑडिट रिपोर्ट मार्च 2020 में पेश किये जाने का लक्ष्य तय किया गया है. (इनपुट भाषा से)

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