मुम्बई से पुणे के बीच लोकल ट्रेनों में सीट के लिए देना पड़ रहा है चंदा, दैनिक यात्री कर रहे मनमानी
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मुम्बई से पुणे के बीच लोकल ट्रेनों में सीट के लिए देना पड़ रहा है चंदा, दैनिक यात्री कर रहे मनमानी

मुम्बई से पुणे जाने वाली ट्रेनों में दैनिक यात्रियों की मनमानी के चलते आम यात्रियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. लोकल ट्रेनों में सीट के लिए पूजा में चंदे की रसीद कटानी पड़ती है.

मुम्बई से पुणे के बीच लोकल ट्रेनों में दैनिक यात्री कर रहे मनमानी (फाइल फोटो)

राजीव रंजन सिंह, नई दिल्ली: मुम्बई से पुणे जाने वाली ट्रेनों में दैनिक यात्रियों की मनमानी के चलते आम यात्रियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ये दैनिक यात्री कई बार ट्रेन में मौजूद सीटों पर कब्जा कर लेते हैं. यदि आपको सीट चाहिए तो लोक कल्याण के लिए की जा रही पूजा के लिए रसीद कटानी होगी. रेल अधिकारियों को जब इस तरह की घटनाओं की सूचना मिली तो उन्होंने कई ट्रेनों की जांच कराई. लेकिन अभी भी लोकल ट्रेनों में इस तरह की घटनाएं लगातार जारी हैं.

  1. मुम्बई से पुणे के बीच लोकल ट्रेनों में दैनिक यात्री कर रहे मनमानी
  2. सीट देने के लिए लोगों से मांगा जाता है पूजा के लिए चंदा
  3. रेलवे प्रशासन ने इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए उठाए कदम

मुम्बई से पुणे के बीच चलती हैं 77 ट्रेनें
मासिक पास होते हुए भी नहीं मिलती सटी मिलना आसान नहीं है. दरअसल मुंबई से पुणे जाने के लिए रोजाना 77 ट्रेन हैं. इनमें से तकरीबन 28 ट्रेन रोजाना सफर करने वाले यात्रियों के लिए सुलभ हैं. इन 28 ट्रेनों में से तकरीबन 8 से 10 ट्रेनों में मासिक पास धारकों के लिए विशेष सहुलियत रखी गई है. मुंबई से पुणे जाने वाली कई ऐसी ट्रेन है जिसमें सेंट्रल रेलवे ने मासिक टिकट धारकों के लिए विशेष डब्बों की व्यवस्था की है. लेकिन मासिक टिकट धारकों का एक अलग से दबदबा इन ट्रेनों में बना रहता है. उदाहरण के तौर पर पुणे इंटरसिटी हो, इंद्राणी एक्सप्रेस हो, कोयना एक्सप्रेस या सालों से चली आ रही है डक्कन एक्सप्रेस हो. इन ट्रेनों से सफर करने वाले दैनिक यात्रियों का दबदबा इन ट्रेनों में चलता है. ये बगैर रिजर्वेशन के तय सीट पर सालों से बैठते आ रहे हैं. मतलब अगर वह अपना सफर खिड़की वाली सीट पर बैठ कर करते हैं तो रोज वो उसी सीट पर बैठते हैं. मुंबई से पुणे का सफर4 घंटे का है तो 4 घंटे वह उस सीट पर बैठेंगे बिना रिजर्वेशन के क्योंकि मासिक टिकट धारक होने के नाते यह अपना अधिकार मानते है. किसी बुजुर्ग, महिला या किसी अन्य को वो सीट नहीं देते हैं. इसके लिए कई बार रेल प्रशासन से शिकायत भी की गई है.

पूजा के चंदे के नाम पर कटती है रसीद
इंटरसिटी से सफर करने वाले मासिक टिकट धारक इन ट्रेनों में पूरी मनमानी करते हैं. सीट खाली होने के बावजूद आपसे यह कहा जाएगा कि अगले स्टेशन से इस सीट पर रोजाना बैठने वाला व्यक्ति आएगा मजबूरन आप को उनके विरोध के चलते सीट छोड़नी पड़ेगी. अगर आपको सीट चाहिए तो आपको 250 से 500 रुपये की रसीद कटवानी होगी, ये रसीद मासिक टिकट धारकों के जरिए काटी जाएगी. ये रसीद लोक कल्याण के लिए की जा रही पूजा के नाम पर काटी जाएगी. रसीद काटते हैं आप उस ट्रेन से सफर करने और सीट मिलने की गारंटी हो जाएगी."

रेल अधिकारियों को भी मिली हैं कई शिकायतें
आमतौर पर यह नजारे बराबर ही मुंबई पुणे इंटरसिटी , इंद्रायणी एक्सप्रेस, और ढक्कन एक्सप्रेस में देखने को मिलते हैं. लेकिन ऐसे वाक्ये कि आपको रसीद कटाने पर ही ट्रेन में सीट मिल सकेगी कई दूसरे ट्रेनों में भी अक्सर देखने सुनने को मिल जाते हैं. मध्य रेलवे के अधिकारी इस बात से भली भांति अवगत भी हैं और गाहे-बगाहे औचक निरीक्षण भी करते हैं. जी मीडिया से बात करते हुए मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुनील उदासी ने इस बात के बारे में स्पष्ट किया "कि कुछ दिनों पहले ही ऐसी शिकायत आई थी इसके बाद से इन सारे ट्रेनों में फ्लाइंग दस्ते और सादे वर्दियों में जांच अधिकारियों को जांच करने के लिए भेजा जा रहा है. जनसंपर्क अधिकारी का यह भी कहना था के मध्य रेलवे किए प्राथमिकता है की पैसेंजर को किसी तरह की तकलीफ ना हो और कुछ खास लोगों के जरिए किए जा रहे मनमानी को भी रोका जा सके."

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