विश्‍वास नगर: ऊंची दुकान फीके पकवान तो साबित नहीं होगी हलवाईयों के बीच चुनावी दंगल
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विश्‍वास नगर: ऊंची दुकान फीके पकवान तो साबित नहीं होगी हलवाईयों के बीच चुनावी दंगल

यमुनापार की विश्वास नगर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद रोचक है.

विश्‍वास नगर: ऊंची दुकान फीके पकवान तो साबित नहीं होगी हलवाईयों के बीच चुनावी दंगल

नई दिल्‍ली: यमुनापार की विश्वास नगर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद रोचक है. दरअसल पहले तक इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला होता था लेकिन बीते चुनाव से इस सीट पर ही मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इस बार भी मुकाबला आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों के बीच है. बीजेपी से ओम प्रकाश शर्मा, कांग्रेस से गुरचरण सिंह (राजू) और आम आदमी पार्टी से दीपक सिंगला प्रमुख रूप से चुनावी मैदान में हैं. कई निर्दलीय भी मैदान में डटे हुए हैं. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी और बीजेपी से इस बार जो तीनों उम्मीदवार मैदान में हैं, वे दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े रहे हैं. बीते साल ही तीनों दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के संगठन चुनाव में आपस में दो-दो हाथ कर चुके है. दिलचस्प ये है कि किक्रेट के मुकाबले में भी ओपी शर्मा विरोधियों पर भारी पड़े.

राजनीतिक समीकरण
अभी ओम प्रकाश शर्मा सिटिंग एमएलए हैं. बीते 2 चुनाव से बीजेपी के टिकट पर वह लगातार जीतते आ रहे हैं. बीते चुनाव में दिल्ली भर में आम आदमी पार्टी की लहर में भी यह सीट बीजेपी जीतने में कामयाब हुई थी. दिल्ली में जो 3 सीटें बीजेपी ने जीती थी उसमें से एक विश्वास नगर भी थी. चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवार बीजेपी के ओपी शर्मा और आम आदमी पार्टी के दीपक सिंगला डीडीसीए के चुनाव में कोषाध्यक्ष पद के लिए एक दूसरे के सामने थे लेकिन सिंगला को मुंह की खानी पड़ी. कांग्रेस के उम्मीदवार गुरचरण सिंह भी डीडीसीए के सदस्य है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली के बेहद करीबी रहे ओम प्रकाश शर्मा पहली बार 2008 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से उतरे थे लेकिन उस वक्त उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार नसीब सिंह से मात खानी पड़ी थी. विश्वास नगर के ही डिफेंस एंक्लेव में रहने वाले ओपी ने 2013 और 2015 के चुनाव में पीछे मुड़ कर नहीं देखा और जीत हासिल की.

उनके परिवार का खानदानी कारोबार हलवाई का है. यमुना बाजार के हनुमान मंदिर पर शिव मिष्ठान के नाम से पारिवारिक कारोबार है. 67 साल के ओपी ने जून-जुलाई 2018 में हुए डीडीसी चुनाव में कोषाध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा व रजत शर्मा के पैनल से मैदान में उतरे थे और जीतने में कामयाब रहे. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दीपक सिंगला भी मिठाई के कारोबार वाले परिवार से आते हैं. इस सीट पर वो आम आदमी पार्टी की टिकट पर पहली बार भाग्य आजमा रहे हैं.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने बीते चुनाव में भले ही विधानसभा की 67 सीटें जीत ली हो लेकिन उसको विश्वास नगर विधानसभा सीट से अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है. लिहाजा इस बार पार्टी पूरी ताकत लगा रही है बीजेपी से इस सीट को छीनने के लिए. इससे पहले 2015 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार ओपी शर्मा ने आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट अतुल कुमार गुप्ता को 10158 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. वहीं कांग्रेस से तीन बार के विधायक रहे नसीब सिंह बीते चुनाव में तीसरे स्थान पर पहुंच गए. लिहाजा इस बार कांग्रेस ने अब नसीब सिंह की जगह गुरचरण सिंह राजू को मैदान में उतारा है. हालाकि बीते चुनाव में ओपी शर्मा की जीत के पीछे एक वजह ये भी रही थी कि आम आदमी पार्टी की लहर के बावजूद कांग्रेस के नसीब सिंह बड़ी तादाद में वोट लेने में कामयाब रहे थे. यानी कांग्रेस उम्मीदवार की मजबूती ने ओपी शर्मा की जीत को आसान कर दिया.

वोटर्स की संख्या
यमुनापार की विश्वास नगर विधानसभा सीट में कुल वोटर्स की संख्या 1 लाख  86 हजार 871 है. इनमें 1 लाख 1 हजार 705 पुरुष वोटर से जबकि 85 हजार 145 महिला वोटर्स की संख्या है. चुनाव आयोग  के मुताबिक दिल्ली में कुल 1,46,92,136 मतदाता रजिस्टर है वही वोट डालने के लिए चुनाव आयोग ने इस बार में कुल 2698 वोटिंग केंद्र बनाए हैं जबकि 13750 पोलिंग स्टेशन हैं.

इस बार दिल्ली में कुल 80,55,686 पुरुष मतदाता हैं जबकि 66,35,635 महिला मतदाता और 815 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल होंगे वहीं चुनाव आयोग ने इस बार कुल 55823 दिव्यांग वोटर्स को मतदान करने के लिए अलग से व्यवस्था की है. साथ ही चुनाव आयोग ने 489 NRI यानी विदेश में रहने वाले भारतीय को भी वोट देने की सुविधा दी है वो भी वोट कर सकते है.

वैसे तो मुकाबला दिल्ली भर में अधिकतर सीटों पर त्रिकोणीय ही है लेकिन माना जा रहा है कि मुख्य मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच होगा. बीते चुनाव में भी कांग्रेस अधिकतर सीटों पर तीसरे नंबर पर रही थी. बीते चुनाव यानी 2015 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर देखे तो जिन सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव मजबूती से लड़ा, वहां आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ और फायदा बीजेपी के उम्मीदवार को पहुंचा. इस बार के चुनाव में भी ये ट्रेंड रह सकता है.

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