दिल्ली सरकार ने 1,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए एक कंसल्टैंट नियुक्त करने को बुधवार को मंजूरी दे दी.
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने और यात्रियों की समस्या दूर करने के लिए एक बड़े कदम के तहत दिल्ली सरकार ने 1,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए एक कंसल्टैंट नियुक्त करने को बुधवार को मंजूरी दे दी. इस पूरी योजना पर लगभग 2500 करोड़ रुपये की लागत आएगी और सरकार ने 2018-19 के बजट में इसका वादा किया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंत्रिमंडल की बैठक में इस कदम को मंजूरी दिए जाने के बाद ट्विटर पर इसकी घोषणा की.
केजरीवाल ने कहा, "कैबिनेट ने दिल्ली में एक हजार इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है. दिल्ली के परिवहन क्षेत्र को आधुनिक बनाने और प्रदूषण घटाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है."
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने वायुप्रदूषण के खिलाफ दिल्ली की लड़ाई में इस कदम को मील का पत्थर करार दिया है. गहलोत ने यहां मीडिया को बताया, "एक हजार ई-बसें आने से दिल्ली भारत और विश्व में स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन में अग्रणी हो जाएगा. चीन के बाद दिल्ली के पास इलेक्ट्रिक बसों की सबसे ज्यादा संख्या होगी."
Cabinet approves hiring of consultant to run 1000 electric buses in Delhi. A big step in modernizing Delhi’s transport sector and reducing pollution #GreenDelhi
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 11, 2018
गहलोत ने यह भी कहा कि उन्होंने परिवहन विभाग से हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की संभावनाओं का अध्ययन करने को भी कहा है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मीडिया को बताया कि ये बसें न केवल सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने में मदद करेंगी, बल्कि प्रदूषण के स्तर को भी कम करेंगी.
सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) लिमिटेड को बतौर कंसल्टैंट के रूप में नियुक्त किया गया है. परियोजना का विस्तृत अध्ययन तीन महीने में आएगा." उन्होंने कहा, "सभी बसें लो फ्लोर होंगी, जिनमें एसी लगा होगा. ये नौ महीने के भीतर दिल्ली की सड़कों पर दौड़ेंगी. भारत में अभी केवल 30 ई-बसें हैं."
इस महीने की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया था कि प्रत्येक वाहन की कीमत करीब ढाई करोड़ रुपये होगी. दिल्ली विधानसभा ने एक हजार इलेक्ट्रिक बसों को चलाकर प्रदूषण से निपटने और गैर प्रदूषणकारी ईंधन की ओर रुख करने के लिए सब्सिडी देने पर केंद्रित 2018-19 'हरित' बजट पारित किया था. सर्वोच्च न्यायालय के 1998 के आदेश के मुताबिक, दिल्ली के पास सार्वजनिक परिवहन के लिए 10 हजार बसों का बेड़ा होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में केवल 5,815 बसें हैं.