दिल्‍ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार, एक जनवरी से ही होगा लागू
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दिल्‍ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार, एक जनवरी से ही होगा लागू

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एक जनवरी से सम-विषम नंबर (ऑड-ईवन फॉर्मूला) के आधार पर निजी वाहनों को वैकल्पिक दिनों में चलाने के आप सरकार के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। यानी दिल्‍ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

दिल्‍ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार, एक जनवरी से ही होगा लागू

नई दिल्‍ली : दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एक जनवरी से सम-विषम नंबर (ऑड-ईवन फॉर्मूला) के आधार पर निजी वाहनों को वैकल्पिक दिनों में चलाने के आप सरकार के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। यानी दिल्‍ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि यह प्रयोग के तौर पर होने जा रहा है, इसके खिलाफ याचिका समय पूर्व है। अभी सरकार का सिर्फ प्रस्ताव है, सरकार सभी से राय मांग रही है। अब दो हफ्ते बाद इस मामले में सुनवाई होगी। वहीं, दिल्ली सरकार ने कहा कि ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रदूषण कम करने के लिए एक जनवरी से सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या सीमित करने की आप सरकार की योजना के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर बुधवार को कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि ऐसा करना जल्दबाजी होगी।

मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने जनहित याचिकाओं को ‘समय से पूर्व’ करार देते हुए कहा ‘दिल्ली सरकार ने एक विचार प्रस्तावित किया है जिसे एक जनवरी 2016 से 15 दिन के लिए प्रायोगिक आधार पर कार्यान्वित किया जाना है, इसलिए उन्हें (दिल्ली सरकार को) कोशिश करने दें।  पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यह सिर्फ प्रायोगिक आधार पर होने जा रहा है। उन्होंने एक विचार पेश किया है जिसके लिए समाज के विभिन्न पक्षों से सुझाव मांगे गए हैं। इस संबंध में बैठकें हो रही हैं। देखें कि संबद्ध पक्ष क्या सुझाव देते हैं। इसमें आगे कहा गया है कि अब तक कोई अधिसूचना भी जारी नहीं हुई, अधिसूचना जारी होने दें, फिर हम देखेंगे। पीठ ने कहा कि हम दो सप्ताह के बाद इस मामले को लेंगे, तब तक सरकार को सुझाव भी मिल जाएंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 23 दिसंबर को नियत की गई है।

पीठ ने यह भी कहा कि इन जनहित याचिकाओं का उपयोग प्रतिवादी (दिल्ली सरकार) पर दबाव डालने के लिए न करें। अदालत ने श्वेता कपूर और सर्वेश सिंह जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं। इन याचिकाओं में नीति के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। दिल्ली सरकार के विचार का बचाव करते हुए उसके वरिष्ठ स्थायी वकील राहुल मेहरा ने जनहित याचिकाओं को खारिज करने तथा याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने का अनुरोध किया। एक याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ‘इस तरह की नीति कानून थोपना जनहित के खिलाफ होगा और यह किसी सार्वजनिक बहस या चर्चा के बिना तथा भारत में स्थिति, तथ्यों तथा परिस्थितियों को समझे बिना थोपा जा रहा है। याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या आप सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की आवाजाही में बदलाव करने का अधिकार है।

राष्ट्रीय राजधानी की परिवहन प्रणाली को ‘अविकसित और असुरक्षित’ बताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे उन महिलाओं के लिए समस्या हो जाएगी जो अकेले यात्रा करती हैं। निशक्त लोग भी परेशान होंगे जो यात्रा के वास्ते अपने लिए सुविधाजनक वाहनों का उपयोग करते हैं।

गौर हो कि राष्ट्रीय राजधानी में ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचे वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए घोषणा की कि सम एवं विषम संख्या वाले नंबर प्लेट के वाहन एक जनवरी से वैकल्पिक दिन ही सड़कों पर आवाजाही करेंगे। दिल्ली सरकार ने कहा कि शहर में निजी वाहनों के चलने से संबंधित सम-विषम योजना 15 दिनों की शुरुआती अवधि के लिए एक जनवरी से सुबह आठ से रात आठ बजे तक प्रभाव में रहेगी और रविवार को वाहनों की आवाजाही पर कोई रोकटोक नहीं होगी। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में तारीखों के आधार पर प्रतिबंध लगाने का भी फैसला किया गया जिसके तहत सम संख्या के नंबर प्लेट वाली कारों को सम तारीखों और विषम संख्या वाली कारों को विषम तारीखों पर चलने की मंजूरी होगी। हालांकि अब तक दो पहिया वाहनों को योजना के दायरे में लाने के बारे में फैसला नहीं किया है।

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