हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित को दिल्ली पुलिस की लापरवाही और विफलता के लिए हर्जाने का दावा करने का अधिकार है.
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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने पुलिस को एक सड़क पर लगाए गए अवरोधकों के चलते दुर्घटना के शिकार हुए युवक को 75 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित को दिल्ली पुलिस की लापरवाही और विफलता के लिए हर्जाने का दावा करने का अधिकार है.
जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि अवरोधकों पर ऐसी कोई चीज नहीं लगी हुई थी, जिससे वे दूर से दिखाई दे सकें.
हाईकोर्ट ने 2015 की इस घटना के संबंध में याचिकाकर्ता धीरज कुमार को 75 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. उस समय धीरज 21 साल के थे.
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बता दें कि यह घटना दिसंबर 2015 में वेस्ट पंजाबी बाग इलाके के निकट हुई जब धीरज और उनके पिता मोटरसाइकिल पर घर जा रहे थे. इस दौरान उनकी मोटर साइकिल पुलिस अवरोधकों से टकरा गई थी. फिर पीड़ित को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. कई ऑपरेशनों और इलाज के बाद उसे बेहोशी की हालत में ही छुट्टी दी गई.
हाईकोर्ट को बताया गया कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के सारांश रिकॉर्ड के मुताबिक वह स्पष्ट रूप से सोचने या ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ था और अब तक उसकी हालत ऐसी ही है.
(इनपुट- भाषा)
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