दिल्ली: बिल के भुगतान के लिए अस्पताल ने पांच दिन तक मरीज को बनाया बंधक
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दिल्ली: बिल के भुगतान के लिए अस्पताल ने पांच दिन तक मरीज को बनाया बंधक

इंश्योरेंस कंपनी की ओर से पैसे समय पर नहीं मिल पाने की वजह से मरीज का परिवार बिल नहीं चुका पाया था. 

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: कैलाश कॉलोनी के मशहूर अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल पर एक मरीज को पांच दिन तक अस्पताल में जबरन बंधक बनाए रखने का आरोप लगा है. यह मरीज बीमा कंपनी की तरफ से पैसे नहीं मिल पाने की वजह से बिल नहीं चुका पाया था. 

निजामुददीन ईस्ट में रहनेवाले 48 साल के मोहम्मद उमर 10 अगस्त को अपोलो स्पेक्ट्रा में भर्ती हुए थे. ब्लैडर नैक इनसिजन सर्जरी के लिए अपोलो अस्पताल द्वारा इंश्योरेंस कंपनी से प्री-अप्रूवल ले लिया गया था जिसके बाद 11 अगस्त को मरीज की ब्लैडर नैक इनसिजन सर्जरी की गई. 

अगले दिन(12 अगस्त को) मरीज को डिस्चार्ज किया जाना था, लेकिन इस बीच बीमा कंपनी की ओर से पैसे नहीं मिले जिसके बाद 16 अगस्त तक मरीज को अस्पताल में जबरन बंधक बनाकर रखा गया. इतना ही नहीं जनरल वार्ड में उन 5 दिनों के भी 1000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 5 हजार रुपये भी बिल में जोड़ दिए गए. 

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क्या कहना है उमर की पत्नी का?
मोहम्मद उमर की पत्नी शब्बो ने बताया कि उन्होने डॉक्टरों और असपताल को पहले ही इस बात की जानकारी दे दी थी की सर्जरी के लिए उनके पास पैसे नही है  इसलिए वे कोई जल्दबाजी न करें लेकिन अस्पताल ने इंश्योरोंस से इलाज हो जाने की दलील दी और जब इश्योंरेंस के पैसे नहीं आए तो मरीज को 5 दिन के लिए बंधक बना लिया  अस्पताल ने कहा मरीज के पास अगर पैसे नहीं है तो वह अस्पताल से बाहर पैर नहीं रख सकता है. 

क्या कहा अस्पताल ने?
आरोप है कि अस्पताल ने मरीज और उनके परिवार पर दबाव बनाया की बीमा कंपनी अगर पैसे नहीं दे रही है तो वे खुद बिल का भुगतान कर दें.  इन आरोपों पर अस्पताल का कहना है कि बीमा कंपनी मरीज के इलाज का खर्च उठा ले इसकी पूरी कोशिश हमारे द्वारा की गई. अस्पताल ने कहा कि मरीज को सभी संवाभित मदद दी गई. अस्पताल ने कहा कि हमने पूरी कोशिश की कि मरीज पर कोई आर्थिक बोझ न पड़े. हालांकि मरीज को पांच दिन अस्पताल में क्यों रखा गया इस पर अपोलो स्पेक्ट्रा ने कुछ नहीं कहा. 

पति को अस्पताल से छुट्टी न मिलने पर शब्बो ने कैम्पेन फॉर डिग्निफाइड ऐंड अफोर्डेबल हेल्थकेयर की मालिनी से मदद मांगी जो कि एक वकील के साथ 16 अगस्त को अस्पताल पहुंचीं। उन्हें भी अस्पताल ने कह दिया कि जब तक बिल जमा नहीं होता, उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा। आखिरकार जब बीमा कंपनी से अप्रूवल मिला तब उमर को छुट्टी दी गई।

कैम्पेन फॉर डिग्निफाइड ऐंड अफोर्डेबल हेल्थकेयर की मालिनी के मुताबिक 'मोहम्मद उमर के साथ अपोलो स्पेक्ट्रा असपताल में जो हुआ ऐसी घटनाएं अस्पतालों में आम है. उन्होंने कहा कि उनके पास कई लोग आते है जिन्हें या तो लाखों के मेडिकल बिल थमा दिए जाते है. कभी अनके अपने लोगों की डेड बॉडी लेने के लिए पैसे देने पड़ते हैं. प्राईवेट असपतालों में मरीजों के साथ बदसलूकी, मोटी बिलों के नाम पर होने वाली लूट अब कॉ़मन हो गई है.' 

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