एनजीटी के आदेश की अवज्ञा करने पर डीजीसीए को मिली चेतावनी
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एनजीटी के आदेश की अवज्ञा करने पर डीजीसीए को मिली चेतावनी

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की खिंचाई की है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की इस बात के लिए खिंचाई की है कि उसने यह सुनिश्चित करने के उसके सर्कुलर की बार-बार अवज्ञा की है कि यहां के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर संचालित एयरलाइन के विमान उड़ान के दौरान शौचालय टैंक खाली नहीं करें. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने चेतावनी दी कि यदि इस आदेश का 31 अगस्त तक अनुपालन नहीं किया गया, तो नागर विमानन महानिदेशक की तनख्वाह रोक दी जाएगी.

आदेश पर नही लगा है स्थगन
हरित पैनल ने इस बात पर सख्त एतराज किया कि उसके स्पष्ट आदेश के बावजूद इस मुद्दे पर विमानन नियामक द्वारा न तो कोई स्पष्टीकरण दिया गया और न ही उसका अनुपालन किया गया. न्यायमूर्ति गोयल और न्यायमूर्ति जावद रहीम की पीठ ने कहा, ‘‘डीजीसीए द्वारा न कोई वैध स्पष्टीकरण दिया गया और न ही आदेश का अनुपाल किया गया. इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि यह आदेश क्रियाशीलयोग्य है और उस पर किसी भी सुनवाई के तहत स्थगन नहीं लगाया गया है.’’ 

31 अगस्त तक करना होगा आदेश का पालन
पीठ ने कहा, ‘‘डीजीसीए ने बार-बार अवज्ञा की है और कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया, ऐसे में हमारे पास डीजीसीए को 31 अगस्त तक इन निर्देशों का पालन करने का निर्देश देने के सिवा कोई विकल्प नहीं है.’’ सुनवाई के दौरान डीजीसीए ने कहा कि आदेश का अब तक इसलिए पालन नहीं किया गया क्योंकि एनजीटी के आदेश के विरुद्ध समीक्षा याचिका लंबित है. डीजीसीए ने यह दावा करते हुए एनजीटी के 20 दिसंबर, 2016 और दस जनवरी के आदेश पर स्थगन और समीक्षा की मांग की थी कि उड़ान के दौरान विमान के शौचालय से मल को डंप करना असंभव है.

सेवानिवृत सैन्य अधिकारी ने लगाई थी याचिका
अक्तूबर, 2016 में दिल्ली निवासी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) सतवंत सिंह दहिया ने मामला दर्ज कर आरोप लगाया कि उनके इलाके के मकान रात में एयरलाइनों द्वारा विमानों से मल डालने के कारण क्षतिग्रस्त हो गये. एनजीटी ने दिसंबर, 2016 में डीजीसीए को निर्देश दिया था कि वे एयरलाइनों को परिपत्र जारी कर कहें कि यदि उनके विमान उड़ान के दौरान अपशिष्ट डंप करते हुए पाये गये तो उन्हें 50,000 रुपये जुर्माना भरना होगा.

(इनपुट भाषा से)

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