बाल दिवस: दिल्ली पुलिस ने इस साल 610 बच्चों को परिवार से मिलवाया, बच्चे बोले थैंक्स
बाल दिवस के मौके पर क्राइम ब्रांच के दफ्तर मे दर्जनों बच्चों को लेने उनके माता-पिता अलग-अलग राज्यों से दिल्ली पहुचें.
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) क्राइम ब्रांच और NGO 'साथी' की पहल से पिछले 4 साल में तब 3000 लापता बच्चे अपने परिवार के पास सकुशल पहुंच गए हैं. गृह मंत्रालय के आदेश पर पिछले चार साल से दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग युनिट और NGO साथी मिलकर देश के अलग-अलग राज्यों से अपने घरों से भागकर या बुरी लत का शिकार होकर दिल्ली आए करीब 3000 नाबालिग बच्चों को अपने परिवार से मिलवाने में सफल हुई है.
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन मिलाप के तहत साल 2016 में करीब 1100, 2017 में करीब 613 बच्चे वहीं 2018 में 708 और साल 2019 में अब तक 610 लापता बच्चों को ऑपरेशन मिलाप के जरिए उनके घर पहुंचाया गया है. बाल दिवस के मौके पर क्राइम ब्रांच के दफ्तर मे दर्जनों बच्चों को लेने उनके माता पिता अलग-अलग राज्यों से दिल्ली पहुचें जहां वो अपने बच्चों से मिलकर बहुत खुश है.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय ट्रिकी ने ज़ी न्यूज़ को बताया कि गृह मंत्रालय के आदेश पर ऑपरेशन मिलाप कार्यक्रम के तहत हम गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलवाते हैं. एसीपी सुरेंद्र कुमार गुलिया की टीम, बिहार, यूपी, बंगाल, झरखंड, ओडिशा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कई अलग-अलग राज्यों से अपने घरों से भागकर या बुरी लत का शिकार होकर दिल्ली भगाकर आए नाबालिग बच्चों को क्राइम ब्रांच दिल्ली के रेलवे स्टेशनों बस अड्डों बाजारों से खोजकर NGO की मदद से उनकी काउंसलिंग करती है. फिर उन बच्चों के घर का पता लागकर परिवार से बच्चों को मिलवाया जाता है.
जब जी मीडिया ने इन बच्चों से बात की तो कई बच्चे ऐसे मिले जो अपने घर से छोटी-छोटी बातों से नाराज़ होकर भगाकर दिल्ली आ गए. जिसमें पढ़ाई का दवाब, घर वालों का गुस्सा, घर में झगड़ा होना ऐसे तमाम बातें शामिल थीं. इन बातों से परेशान होकर बच्चे घर से भाग आए. वहीं बच्चों के परिजन अपने बच्चों से मिलकर दिल्ली पुलिस का धन्यवाद कर रहे हैं.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के साथ काम करने वाली एनजीओ 'साथी' की कॉर्डिनेटर प्रियंका ने ज़ी न्यूज़ को बताया की हम पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं. घर से भागकर दिल्ली आए बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है. इसके बाद पूरी जांच पड़ताल करने के बाद उन्हें परिजनों को सौंप दिया जाता है. उन्होंने कहा कि यह काम करके बहुत गर्व महसूस होता है.
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