नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) का एक गांव बिना बाढ़ के ही डूब गया है. यहां के लोग प्राकृतिक नहीं बल्कि 'प्रशासनिक आपदा' के शिकार हुए हैं. अपने विकास पर इतराने वाली राजधानी से आईं ये तस्वीर गांव रावता की है, जहां 700 एकड़ से ज्यादा जमीन पूरी तरह से जलमग्न हो गई है. हालत ये है कि खेतों में भी आठ-आठ फुट तक पानी जमा हो गया है, जिससे किसानों की धान की फसल बर्बाद होना लगभग तय है.


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आपको बता दें कि धान की फसल लगाने के लिए किसान को 18 से 20 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. लेकिन इस बार किसानों का ये सारा पैसा बर्बाद हो गया है और उनके ऊपर कर्ज का पहाड़ खड़ा हो गया है. बाढ़ ने इनके सभी अरमानों पर पानी फेर दिया है. रावता गांव की सड़कें पानी में डुबी हुई हैं. जिससे लोगों को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है.  


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गांव के डूबने की एक बड़ी वजह नजफगढ़ झील में गुरुग्राम का गंदा पानी आना है. गांव की करीब 100 से 150 एकड़ जमीन ऐसी है जिस पर कई सालों से पानी भरा हुआ है. इस कारण गांव में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर गांव के लोग हर सरकारी दरवाजे पर दस्तक दे चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या सुलझाने का शायद सरकारों के पास वक्त नहीं है.


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टाउन प्लानर एके जैन ने बताया कि रावता गांव में आने वाली इस वार्षिक बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए सॉफ्ट टूल्स के इस्तेमाल की जरूरत है. इसके तहत सबसे पहले सरकारी और किसानों की जमीन का आंकड़ा निकाला जाएगा. जिसके बाद नजफगढ़ ड्रेन पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी साफ करके झील की तरफ छोड़ा जा सकता है. उन्होंने बताया कि छोटे-छोटे पेबल्स का इस्तेमाल भी काफी कारगर साबित होगा. ड्रेन की सफाई समय-समय पर हो ये बेहद जरूरी है.


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