दिल्ली में चल रहे सीलिंग अभियान को लेकर अपना विरोध जताने के लिए 31 मार्च को लाजपत नगर के व्यापारियों ने रिंग रोड जाम कर दिया.
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नई दिल्ली: दिल्ली में चल रहे सीलिंग अभियान को लेकर अपना विरोध जताने के लिए शनिवार (31 मार्च) को लाजपत नगर के व्यापारियों ने रिंग रोड जाम कर दिया. व्यापारियों ने आश्रम से मूलचंद तक प्रदर्शन किया, जिसकी वजह से रिंग रोड पर लंबा जाम लग गया, हालांकि बाद में यातायात सुचारू तरीके से शुरू हो गया. सीलिंग अभियान से व्यापारियों, उनके कर्मचारियों और परिवार के लोगों सहित 40 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. पिछले तीन माह में दिल्ली में सीलिंग की वजह से कारोबार में 40 फीसदी की गिरावट आई है.
केंद्र से अध्यादेश लाने की मांग
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायलय द्वारा गठित निगरानी समिति के निर्देश पर नगर निगमों ने दिल्ली के मास्टर प्लान का उल्लंघन करने के लिए सीलिंग अभियान चलाया है जिसके तहत बड़ी संख्या में वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को सील किया गया है. बड़े राजनीतिक दलों... आप, भाजपा और कांग्रेस ने सीलिंग पर रोक लगाने की मांग की है. व्यापारी भी सीलिंग बंद करने के लिए केंद्र से अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार से भी सीलिंग के खिलाफ एक विधेयक पारित करने की मांग की है.
28 मार्च को व्यापारियों ने किया था हड़ताल का आह्वान
इससे पहले बीते 28 मार्च को भी व्यापारियों ने हड़ताल का आह्वान किया था, जिससे शहर के अधिकतर प्रमुख बाजार बंद रहे थे. व्यापारी संगठन के नेताओं ने बताया था कि बहुत सारे व्यापारी, उनके परिवार के लोग और कर्मचारी अपनी आजीविका पर हमले को लेकर अपना विरोध जताने के लिए एक बड़ी रैली में हिस्सा लेने की खातिर यहां के रामलीला मैदान में जमा हुए थे.
बुधवार की हड़ताल सीएआईटी और ऑल दिल्ली ट्रेडर्स एंड वर्कर्स एसोसियेशन ने बुलायी थी. बंद किए गए बाजारों में सदर बाजार, लाजपत नगर, चांदनी चौक, करोल बाग और चावड़ी बाजार शामिल थे. व्यापारी संगठन के नेता ने दावा किया कि शहर में करीब 7 लाख करोबारी प्रतिष्ठान और 3,000 बाजार हड़ताल से प्रभावित रहे. खंडेलवाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, हड़ताल के कारण 1800 करोड़ रुपए के कारोबार का नुकसान हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट कर चुका है डीडीए खिंचाई
सीलिंग अभियान को लेकर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की बीते 28 मार्च को खिंचाई की थी और कहा था कि प्राधिकरण को शहर के आम आदमी नहीं, बल्कि केवल व्यापारियों को लेकर चिंता है. न्यायालय ने कहा कि डीडीए तब तक लोगों पर ध्यान नहीं देता जब तक वे सड़कों पर नहीं उतरते. न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह तीखी टिप्पणी तब की जब डीडीए के वकील ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में व्यापारी न्यायालय की ओर से गठित निगरानी समिति की देखरेख में चल रहे सीलिंग अभियान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. पीठ ने कहा था, ‘‘आप (डीडीए) अत्यधिक दबाव में काम कर रहे हैं. डीडीए को आम जनता की चिंता नहीं है. क्या दिल्ली के लोग आप के लिए अप्रासंगिक हैं. आपको आम जनता की नहीं बल्कि केवल व्यापारियों की चिंता है.’’
(इनपुट एजेंसी से भी)