कंपनी ने कहा, AEPL को महानिदेशक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा सेक्टर 43, फरीदाबाद के सेक्टर 43 में 52.825 एकड़ जमीन पर प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए लाइसेंस (2013 का नंबर 20) दिया गया था.
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नई दिल्ली : इरोस ग्रुप (Eros Group) के निदेशक अवनीश सूद ने कहा है कि हमारी अदालतों को तथाकथित पर्यावरणविदों के इशारे पर लोगों की धारणाओं के आधार पर निर्णय देना बंद करना चाहिए. सूद ने कहा, "सभी वैध अनुमति के साथ परियोजनाओं को रोकना न केवल व्यावसायिक बिरादरी के बीच एक भय का कारक बन जाएगा, बल्कि उन्हें नई परियोजनाओं में उद्यम करने के लिए हतोत्साहित भी करेगा."
इरोस के अनुसार अजय एंटरप्राइज (AEPL), जोकि इरोस का हिस्सा है और भारती रियल्टी के ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के खिलाफ एक याचिका नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर की गई है. इससे प्रोजेक्ट का काम रुक गया है. कंपनी का दावा है कि यह परियोजना 5,000 करोड़ रुपये की है. मौजूदा केस के कारण यह हरियाणा RERA (H-RERA) के साथ पंजीकृत नहीं है.
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कंपनी ने कहा, AEPL को महानिदेशक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (DGTCP) द्वारा सेक्टर 43, फरीदाबाद के सेक्टर 43 में 52.825 एकड़ जमीन पर प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए लाइसेंस (2013 का नंबर 20) दिया गया था. AEPL ने भारती रियल्टी के साथ एक सहयोग समझौता किया था.
हालांकि, मार्च 2019 में NGT ने एक आदेश पारित करके उक्त जमीन को "डीम्ड फॉरेस्ट" घोषित कर दिया था. AEPL ने उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसमें कहा गया था कि मामले की सुनवाई होने तक किसी भी अनुमति को रद्द नहीं किया जाएगा. सूद ने कहा, "इससे साफ है कि NGT द्वारा पारित आदेश कानून की नजर में गलत है." कंपनी का दावा है कि सेक्टर 43 को अभी तक 1982 के मास्टर प्लान के आवासीय क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है. इस प्रकार, उक्त भूमि को जंगल के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है.