'माफ कीजिएगा! हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई...हम किसान हैं, हमारी जान सस्‍ती है...'
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'माफ कीजिएगा! हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई...हम किसान हैं, हमारी जान सस्‍ती है...'

दिल्‍ली में शुक्रवार को हो रहे किसान मुक्ति मार्च से पहले गुरुवार को किसानों ने पर्चा बांटकर साझा किया अपना दर्द.

दिल्‍ली में किसान कर रहे हैं विरोध-प्रदर्शन. फोटो ANI

नई दिल्‍ली : 'माफ कीजिएगा! हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई होगी...हम किसान हैं.' ये चंद पंक्तियां भर नहीं हैं, जिसे पढ़कर आगे बढ़ जाया जाए. ये उन लाखों किसानों का दर्द है, जो उन्‍होंने दिल्‍ली में विरोध-प्रदर्शन करने के दौरान लोगों को बांटे पर्चे में जताया है. उन्‍होंने पीले रंग के इस पर्चे में उनके साथ हो रही नाइंसाफी को उजागर करना चाहा है. यह पर्चा पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.

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किसानों की ओर से गुरुवार को बांटे गए पर्चे. फोटो सोशल मीडिया से

इसमें किसानों ने लिखा है- 'माफ कीजिएगा! हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई होगी...हम किसान हैं. आपको तंग करना हमारा इरादा नहीं है. हम खुद बहुत परेशान हैं. सरकार को और आपको अपनी बात सुनाने बहुत दूर से आए हैं. हमें आपका बस एक मिनट चाहिए.'

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दिल्‍ली में मार्च करते किसान. फोटो ANI

मिलती है कम कीमत
इसके बाद किसानों ने इस पर्चे में उन कीमतों का जिक्र किया है, जिसमें उनके साथ नाइंसाफी होती है. उन्‍होंने लिखा है कि मूंग दाल जो लोग 120 रुपये/किग्रा की दर पर खरीदते हैं, उसकी उन्‍हें सिर्फ 46 रुपये/किलो कीमत ही मिलती है. इसी तरह जो टमाटर हम लोग बाजार से 30 रुपये/किग्रा की दर पर खरीदते हैं, उसकी कीमत किसानों को 5 रुपये/किग्रा मिलती है. वहीं जो सेब लोग बाजार से 110 रुपये/किग्रा पर खरीदते हैं, उसकी कीमत किसान सिर्फ 10 रुपये/किग्रा पाता है. 42 रुपये/लीटर की दर से खरीदे गए दूध की कीमत किसानों को महज 20 रुपये प्रति लीटर मिल पाती है.

'हमारी जान भी सस्‍ती है'
किसानों ने इसके आगे लिखा है 'यह है हमारी परेशानी. हम हर चीज महंगी खरीदते हैं और सस्‍ती बेचते हैं. हमारी जान भी सस्‍ती है. पिछले बीस साल में तीन लाख से अधिक किसान आत्‍महत्‍या कर चुके हैं. हमारी मुसीबत की चाभी सरकार के पास है, लेकिन वो हमारी सुनती नहीं. सरकार की चाभी मीडिया के पास है, लेकिन वो हमें देखता नहीं. और मीडिया की चाभी आपके पास है. आप हमारी बात सुनेंगे, इस उम्‍मीद से हम आपको अपनी दुख-तकलीफ समझाने आए हैं. 

'संसद का सत्र किसानों पर हो'
किसानों ने पर्चे में मांग की है 'हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि संसद का एक विशेष सत्र किसानों की समस्‍या पर बुलाया जाए. और उसमें किसानों के लिए दो कानून पास किए जाएं. फसलों के उचित दाम की गारंटी का कानून और किसानों को कर्ज मुक्‍त करने का कानून. कुछ गलत तो नहीं मांग रहे हम? किसानों ने पर्चे में अपना दर्द जताने के बाद अंत में कहा है 'अगर आपको हमारी बात सही लगी हो तो इस मार्च में दो कदम हमारे साथ चलिए.' उन्‍होंने लोगों से मार्च में शामिल होने की अपील की है.

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दिल्‍ली में मार्च करते किसान. फोटो ANI

'दिल्‍ली में जुटे हैं लाखों किसान'
दरअसल देश के अलग-अलग हिस्‍सों से लाखों किसान एक बार‍ फिर गुरुवार से दिल्‍ली में एकत्र हुए हैं. अपनी विभिन्‍न मांगों को लेकर वे शुक्रवार को संसद की ओर कूच कर गए. किसानों ने सरकार के खिलाफ इस प्रदर्शन को 'किसान मुक्ति मार्च' नाम दिया है. ये किसान कर्ज माफी, फसलों का बेहतर न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) समेत अपनी अन्‍य मांगों को पूरा करवाने दिल्‍ली की सड़कों पर जुटे हैं. रामलीला मैदान से इन्‍होंने संसद तक मार्च निकाला है.

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