पहले ये हड़ताल एक दिन के लिए थी. लेकिन अब इसे एक दिन और बढ़ा दिया गया है. इसमें दिल्ली और पटना एम्स भी हिस्सा लेंगे. इससे पहले गुरुवार को राज्यसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को मंजूरी दे दी गई. कुछ संशोधनों के कारण इसे लोकसभा में भेजा जाएगा.
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नई दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) विधेयक के विरोध में रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहेगी. पहले ये हड़ताल एक दिन के लिए थी. लेकिन अब इसे एक दिन और बढ़ा दिया गया है. इसमें दिल्ली और पटना एम्स भी हिस्सा लेंगे. इससे पहले गुरुवार को राज्यसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को मंजूरी दे दी गई. कुछ संशोधनों के कारण इसे लोकसभा में भेजा जाएगा.
इधर, रेजिडेंट चिकित्सकों के इमरजेंसी सेवाओं सहित सभी सेवाओं से हट जाने के कारण गुरुवार को एम्स सहित सरकारी अस्पतालों की सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुईं. चिकित्सक ऐसा नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे नीम-हकीमों को बढ़ावा मिलेगा. इस हड़ताल का आह्वान एनएमसी विधेयक के खिलाफ किया गया है, जिसे गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत किया.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अलावा इस हड़ताल से पड़ोसी सफदरजंग अस्पताल व दिल्ली के मध्य में स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल भी बुरी तरह प्रभावित है. तीनों अस्पतालों में से खास तौर से एम्स व सफदरजंग में पूरे देश से हर रोज हजारों मरीज पहुंचते हैं.
सफदरंजग अस्पताल के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रकाश ठाकुर ने कहा, "अगर विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो हम अपना प्रदर्शन और तेज करेंगे." हर्षवर्धन ने बुधवार की रात किए गए एक ट्वीट में लोगों व मेडिकल बिरादरी को भरोसा दिया था कि विधेयक ऐतिहासिक साबित होता है.
आईएमए ने विधेयक को 'क्रूर' व 'जन विरोधी' बताया है. इसने एनएमसी विधेयक की धारा 32 को लेकर चिंता जताई गई है. यह धारा 3.5 लाख गैर चिकित्सक लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को मॉर्डन मेडिसीन के प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस देगी.