क्यों AAP से दूर जा रही है दिल्ली की जनता, MCD चुनाव में मिली भाजपा से हार
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क्यों AAP से दूर जा रही है दिल्ली की जनता, MCD चुनाव में मिली भाजपा से हार

दिल्ली नगर निगम चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को प्रदेश की जनता ने दूसरे नंबर पर धकेल दिया है, जबकि भाजपा तीसरी बार कब्जा जमाने में कामयाब हुई है. 

AAP को दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें मिली थीं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को प्रदेश की जनता ने दूसरे नंबर पर धकेल दिया है, जबकि भाजपा तीसरी बार कब्जा जमाने में कामयाब हुई है. राजौरी गार्डन उपचुनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब भाजपा के सामने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप पार्टी को अपने ही राज्य में हार का मुंह देखना पड़ रहा है. ये वही पार्टी है जिसे दिल्ली की जनता 2015 विधानसभा चुनाव में 70 में 67 सीटें दी थी. ऐसे सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरी इन दो सालों में ऐसा क्या हुआ दिल्ली की जनता का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो रहा है. ऐसे ही पांच कारणों पर एक नज़र:

उपराज्यपाल और केंद्र से तकरार
2015 में दिल्ली की सत्ता पर आसीन होने के दो-तीन महीने बाद से दी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से विभिन्न मुद्दों पर विवाद शुरू हो गए. केजरीवाल काम से ज़्यादा वक्त झगड़े को देने लगे, हालांकि इस दौरान दिल्ली सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए, लेकिन केंद्र और नजीब जंग से उनकी तल्खी का जनता में गलत संदेश गया.    

पंजाब और गोवा चुनाव में हार 
हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में से आम आदमी पार्टी जहां पंजाब में अपनी जीत पक्की मान रही थी तो वहीं दूसरी ओर उन्हें गोवा में भी अच्छी शुरुआत की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. 

पंजाब चुनाव में आप मुख्य विपक्षी पार्टी बनने में कामयाब हो सकी और वोट शेयर के मामले में वह तीसरे पायदान पर रही. 
इस चुनाव परिणाम से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया. और इसी का असर रहा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी अपनी पूरी ताकत नही दिखा सकी.

दिल्ली से गायब रहना
पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अरविंद केजरीवाल दिल्ली से नदारद रहे. उन्होंने अपना सारा फोकस दिल्ली से हटाकर चुनावी प्रदेशों में लगा दिया. वे लगभग एक-दो महीने दिल्ली से दूर रहे जिसका गलत संदेश यहां की जनता पर गया और पार्टी को नगर निगम चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 

ईवीएम पर सवाल उठाना
अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनाव में हार के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ को जिम्मेार बताया और पार्ट की कमियों को दूर करने की कोशिश नहीं की. फिर राजौरी गार्डन उपचुनाव में भी आप को इसका खामियाजा भुगना पड़ा और पार्टी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई. जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में 67 सीटें हासिल हुई थीं. ऐसे में ईवीएम पर सवाल खड़े करना केजरीवाल और आप के खिलाफ में गया.    

इमोशनल झूठ का पकड़ा जाना
2015 में सरकार बनने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जितनी जल्दी दिखाई और दूसरी पार्टियों पर दोष लगाना शुरू किया उससे पार्टी की छवि जनता के बीच अपनी चमक खोती नजर आई. हर बात के लिए आंदोलन की धमकी देना, बच्चों की कसम खाना जैसी बातें भी जनता को रास नहीं आई.

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