हरियाणा कांग्रेस की कमान को लेकर पार्टी में घमासान, जल्द होगा बड़ा बदलाव: सूत्र
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हरियाणा कांग्रेस की कमान को लेकर पार्टी में घमासान, जल्द होगा बड़ा बदलाव: सूत्र

सूत्रों की मानें तो हुड्डा मौजूदा हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाने के लिए पार्टी पर लंबे समय से दबाव बना रहे हैं.

हुड्डा हरियाणा विधानसभा चुनाव अपने नेतृत्व में लड़ना चाहते हैं. (फाइल)
हुड्डा हरियाणा विधानसभा चुनाव अपने नेतृत्व में लड़ना चाहते हैं. (फाइल)

चंडीगढ़: हरियाणा में अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन पार्टी में चुनाव की कमान को लेकर घमासान मचा हुआ है. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तलब कर उनसे बातचीत की. इस दौरान हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आज़ाद भी 10 जनपथ में मौजूद थे.

सूत्रों की मानें तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा कांग्रेस की कमान चाहते हैं. हुड्डा हरियाणा विधानसभा चुनाव अपने नेतृत्व में लड़ना चाहते हैं. हुड्डा वर्तमान हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाने के लिए पार्टी पर लंबे समय से दबाव बना रहे हैं. लेकिन राहुल गांधी से तंवर की नजदीकी की वजह से वह इस काम में सफल नहीं हो सके. अब सोनिया गांधी को पार्टी की कमान मिलने के बाद वह दोबारा इस कोशिश में लगे हैं, लेकिन पार्टी आलाकमान उनके बगावती तेवर से नाराज़ है.

हाल ही में उन्होंने हरियाणा में एक रैली कर पार्टी लाइन के खिलाफ़ जाकर धारा 370 को हटाने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया था. अशोक तंवर ने तो पार्टी आलाकमान से हुड्डा पर पार्टी के खिलाफ़ जाने के लिए अनुशासननात्मक करवाई करने की मांग भी की थी. वैसे हुड्डा और अशोक तंवर के बीच की लड़ाई जगजाहिर है और कई बार ये लड़ाई सिरफुटौव्वल में भी तब्दील हो चुकी है.

सूत्रों की मानें तो हुड्डा के सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर की छुट्टी तय है. लेकिन हुड्डा को पार्टी प्रदेश की कमान देगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं है. ख़बर ये है कि जल्द ही हरियाणा कांग्रेस में नए बदलाव का आधिकारिक ऐलान हो सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष पार्टी की सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को बनाया जा सकता है और उनके साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं. एक ख़बर ये भी है कि उन 4 कार्यकारी अध्यक्ष में हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा का नाम भी हो सकता है. शायद हुड्डा इसी फॉर्मूले पर माने हैं.

इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस पार्टी हुड्डा के आगे सरेंडर नहीं करेगी, लेकिन हरियाणा की राजनीति में हुड्डा के दखल को जानते हुए उनको इग्नोर भी नहीं करना चाहती है, क्योंकि पार्टी के हरियाणा में 16 विधायक हैं, जिनमें से 13 विधायक हुड्डा खेमे के माने जाते हैं और समय समय पर हुड्डा पार्टी को अपने इस दम का एहसास भी कराते रहते हैं.

इन सबके बीच एक चर्चा ये भी है कि अगर पार्टी ने हुड्डा के शर्तों को नहीं माना तो वो अलग पार्टी भी बनाकर चुनावी मैदान में जा सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा खामियाजा चुकाना पड़ेगा.

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