नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीएसई के एक परिपत्र को रद्द कर दिया और समूचे देश में मान्यता प्राप्त स्कूलों में स्थित छोटी दुकानों को गैर एनसीईआरटी किताबें और वर्दी बेचने की इजाजत दे दी. अदालत ने कहा कि इस तरह की चीजें बेचने से शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं होता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अदालत ने कहा कि स्कूल परिसरों में एनसीईआरटी और गैर एनसीईआरटी तथा अन्य स्टेशनरी का सामान मिलने से मात-पिता और छात्रों को सहूलियत होगी. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा 19 अप्रैल 2017 को जारी परिपत्र को रद्द कर दिया. इस परिपत्र में स्कूलों को सलाह दी गई थी कि परिसर में किताबें, स्टेशनरी का सामान, वर्दी और स्कूल बैग आदि बेचने की व्यावसायिक गतिविधि में शामिल नहीं हों और बोर्ड के संबद्धता नियमों के प्रावधानों का पालन करें.


परीक्षा देने की योग्यता रखने वाले किसी स्टूडेंट का प्रवेश पत्र नहीं रोका जा सकता : CBSE


न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, ‘‘ सिर्फ स्कूली छात्रों को बेचने के लिए रखी गईं वर्दी, गैर-एनसीईआरटी संदर्भ पुस्तकें या खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता, मेरी राय में, व्यवसायीकरण की श्रेणी में नहीं आती हैं और इसे ये नहीं माना जा सकता है.’’ 


(इनपुट - भाषा)