चुनावी अपराध पर लगाम लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल
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चुनावी अपराध पर लगाम लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल

याचिका में कहा गया है कि चुनावी अपराध के मामले को संज्ञेय अपराध बनाया जाए और कम से कम दो साल कैद की सजा का प्रावधान किया जाए. 

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: चुनावी अपराध पर लगाम लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. दरअसल, याचिका में कहा गया है कि चुनावी अपराध के मामले को संज्ञेय अपराध बनाया जाए और कम से कम दो साल कैद की सजा का प्रावधान किया जाए. 

  1. गलत बयान देने के लिए आईपीसी में 171 जी में सजा का प्रावधान
  2. धारा 171ए से 171आई तक में चुनाव अपराध से संबंधित प्रावधान
  3. चुनावी अपराध स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है.

चुनाव के समय वोट के लिए रिश्वत देने, किसी को गैर कानूनी तरीके से प्रभावित करने, भ्रमित करने और चुनाव के संदर्भ में गलत बयान देने के मामले में कम से कम दो साल कैद की सजा का प्रावधान करने की मांग की गई है. इसके लिए चुनाव आयोग की सिफारिश का भी हवाला दिया गया है, जिसने 1992 से लगातार इसकी सिफारिश की है.

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याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी में कहा है कि आईपीसी की धारा 171ए से लेकर 171आई तक में चुनाव अपराध से संबंधित प्रावधान हैं. आईपीसी की धारा 171 बी में वोट के लिए रिश्वत, चुनाव में गैर कानूनी तरीके से प्रभावित करने के मामले में आईपीसी की धारा 171 सी का प्रावधान है. 

इसी तरह, गलत बयान देने के लिए आईपीसी में 171 जी में सजा का प्रावधान है. साथ ही अवैध तरीके से पेमेंट करने के मामले को भी अपराध बताया गया है.लेकिन इन तमाम मामलों में कुछ में अधिकतम सजा का प्रावधान एक साल या जुर्माना है और ये मामले संज्ञेय अपराध नहीं है.

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याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनावी अपराध स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है. किसी भी पार्टी विशेष के फेवर के लिए अगर रिश्वत का इस्तेमाल हो या ताकत का इस्तेमाल हो या फिर गलत तरीके से पेमेंट किया जा रहा हो या फिर गलत बयान दिया जा रहा हो तो इससे निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव में बाधा पहुंचती है और इस तरह से संविधान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है.

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