हाई कोर्ट ने इस पर बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वकालत का लाइसेंस अपने मुवक्किल के हक की लड़ाई लड़ने के लिए तथा समाज को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है.
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नई दिल्ली : हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के विरोध में याचिकाकर्ताओं को कोर्ट में न जाने देना बार एसोसिएशन को भारी पड़ गया. मामला एक महिला की कस्टडी से जुड़ा हुआ है. महिला की कस्टडी लेने के लिए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में फरियाद लगाई थी और उसके पिता से उसे मुक्त कराने की अपील की थी. मामले की सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता वह महिला तथा महिला का पिता हाई कोर्ट पहुंचे थे.
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता और महिला को तो कोर्ट में जाने दिया लेकिन महिला के पिता को कोर्ट में नहीं जाने दिया. जब कोर्ट को इस बारे में बताया गया तो हाई कोर्ट ने इस पर बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वकालत का लाइसेंस अपने मुवक्किल के हक की लड़ाई लड़ने के लिए तथा समाज को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है.
कोर्ट ने कहा कि वकील को कानून की बेहद अच्छी जानकारी होती है और उससे उम्मीद की जाती है कि वह समाज को बेहतर बनाने के लिए कार्य करें. इस प्रकार नागरिकों को न्याय मिलने की राह में रोड़ा डालना किसी भी तरीके से सही करार नहीं दिया जा सकता. साथ ही बार एसोसिएशन पर कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया.