हिसार: 68 साल की उम्र में जैकब हरमीत सिंह ने लिख दिए दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक ग्रंथ
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हिसार: 68 साल की उम्र में जैकब हरमीत सिंह ने लिख दिए दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक ग्रंथ

हिसार के रहने वाले एक 68 साल के बुजुर्ग ने दुनिया के सबसे बड़े एक नहीं दो नहीं, बल्कि पूरे 3 धार्मिक ग्रंथ अपने हाथ से लिख डाले हैं.

अपने लिखे तीनों ग्रंथों के साथ जैकब हरमीत सिंह.

हिसार: कहते हैं कुछ कर गुजरने की अगर इच्छा हो तो उसके लिए उम्र नहीं, हौंसले की जरूरत होती है. इसी हौंसले को अपनी ताकत बनाते हुए हिसार के रहने वाले एक 68 साल के बुजुर्ग ने दुनिया के सबसे बड़े एक नहीं दो नहीं, बल्कि पूरे 3 धार्मिक ग्रंथ अपने हाथ से लिख डाले हैं. इस बुजुर्ग का नाम है जैकब हरमीत सिंह. दिखने में जैकब बुजुर्ग है, लेकिन इनके हौंसले ऐसे के नौजवान भी मात खा जाए. रिकॉर्ड बनाना और कुछ अलग कर दिखाना मानों जैकब का जुनून है. इन्होंने दुनियां की सबसे बड़ी हस्त लिखित बाइबल लिखी, इसके बाद भगवत गीता और रामचरित मानस यानी रामायण भी लिखा. जैकब के लिखे तीनों धार्मिक ग्रंथ की खासियत भी आपसे सांझा कर देते है. जैकब के लिखे तीनों ग्रंथों का पहला कवर पेज स्टील की चादर से बना है. इतना ही नहीं, तीनों पर दरवाजों पर लगने वाले कब्जे है, जिसमें नट बोल्ट लगाकर इसे बंद किया जाता है. बाइबल की बात हो, रामचरित मानस की या फिर भगवत गीता की ये तीनों ग्रंथ दुनियां में वजन और आकार में सबसे बड़े है.

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से ली प्ररेणा
लक्ष्य उंचा रखो, छोटा लक्ष्य तो अपराध है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की ये बात जैकब हरमीत सिंह को ऐसी पंसद आई कि बस कुछ हट के करने की सोच ली. जैकब बताते है कि जिंदगी तो हर कोई जीता है, लेकिन असल जिदंगी वो होती है जिसमें खुद के नाम की पहचान हो. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की लक्ष्य उंचा रखने वाली बात मुझे हमेशा याद आती थी, बस फिर एक रोज सोचा कि आखिर ऐसा क्या करूं, बस लगा क्यों ना धार्मिक ग्रंथ ही हाथ से लिखूं. उम्र की परवाह किए बिना जैकब इस काम में जुट गए और आज ऐसा कर दिया कि अब वो मिसाल बन गए है.

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अपने लिखे धार्मिक ग्रंथों के बारे में जैकब हरमीत सिंह ने बताया कि उनकी लिखी राम चरित मानस यानि रामायण 109 किलोग्राम 600 ग्राम वजनी की है. इसके लिखने में साढ़े 11 महीने लगे, इसमें 1700 पेज है. इसे लिखने में स्याही के अंदर गंगा जल भी मिक्स किया गया, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे. वहीं बाइबल की अगर बात की जाएं तो इसमें 1950 पेज है, वजन 120 किलोग्राम हैं और इसे लिखने में जैकब ने ढाई साल लगा दिए. बात की जाएं भगवत गीता की तो जैकब ने इसके 225 पेज करीब पौने दो महीनों में लिखे. गीता ग्रंथ का वजन 25 किलोग्राम है. तीनों ग्रंथ वजनी हैं, इन्हें एक आदमी तो आसानी से उठा भी नहीं सकता. हर रोज 12 से 14 घंटे की मेहनत कर जैकब ने इन्हें लिखा, जैकब बताते है कि आंखों के चश्मे का नंबर भी बढ़ गया, लेकिन उन्होंने परवाह नहीं की. रामचरित मानस की रचना 3 भाषाओं में है.

अब कुरान लिखने की तैयारी
अब जैकब हरमीत सिंह का सपना कुरान लिखने का है. इससे पहले जैकब हरमीत सिंह के नाम इंडिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में सबसे बड़ी बाइबल हाथ से लिखने का रिकॉर्ड दर्ज है. इस मुकाम तक पहंचने वाले जैकब ने बताया कि शुरूआत में कुछ लोग यहां तक की उन्हें घर वाले भी पागल समझते थे. लेकिन अब उन लोगों की धारणाएं भी बदली है. जैकब की उसके साथी भी प्रशंसा करते है. जैकब के साथी श्याम लाल से बातचीत की, उन्होंने बताया कि शुरूआत में जैकब ने जब यह करने की सोची, तो उन्हें अजीब लगा. लेकिन अब खुशी भी होती है कि उनका हमउम्र इतना नाम कमा रहा है. हाल ही में जैकब उत्तरप्रदेश एरिया में लगे पुस्तक मेले में भी अपनी तीनों रचनाओं को लेकर गए थे, जहां उनकी सराहना की गई.

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60 लाख लग चुकी कीमत, लेकिन दी नहीं 
जैकरब हरमीत सिंह ने बताया थोड़े साल पहले एक विदेशी खरीददार ने उनकी लिखी बाइबल की 60 लाख रुपए कीमत लगाई थी. लेकिन उन्होंने इसे दिया नहीं, वो चाहते है कि विदेश में बोली के जरिए इसकी बिक्री हो, उससे मिलने वाले रुपए को जैकब हरमीत सिंह बेसहारा बच्चों के सहारा बनने के रूप में लगाना चाहते है. वो चाहते है कि बच्चों का एक हिसार में ही होस्टल बने, जिसमें बेसहारा बच्चे रह सके, पढ़ लिख कर आगे बढ़ सके.

राम मंदिर में भी रख सकते है रामचरित मानस
जैकब हरमीत ने बातचीत के दौरान अयोध्या राम मंदिर का जिक्र भी किया. बात करते करते जैकब बोले कि रामचरित मानस को अयोध्या में बनने वाले भव्य राममंदिर में भी रखा जा सकता है, ऐस ही सरकार चाहे तो कुरुक्षेत्र में गीता को भी रखा सकती है. उनका तो उद्देश्य समाज का भला होने से है. जैकब के हौंसल की जितनी तारीफ की जाएं कम है, क्यों​कि उम्र के जिस पड़ाव बुजुर्ग पोते-पोतियों के साथ वक्त गुजारने में समय गुजारते है उस उम्र में जैकब ने तीनों बड़े ग्रंथ लिखकर एक मिसाल पेश की है. उम्मीद करते है समाज के दूसरे लोग भी प्रेरणा लेंगे और अपने आप को बुजुर्ग नहीं बल्कि हौंसले से लबरेज मानकर ऐसे ही दूसरों के लिए मिसाल बनेंगे.

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