SC के लिए इंदु मल्‍होत्रा का नाम तय, जस्टिस जोसेफ पर CJI बोले- दोबारा विचार करने में कुछ गलत नहीं
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SC के लिए इंदु मल्‍होत्रा का नाम तय, जस्टिस जोसेफ पर CJI बोले- दोबारा विचार करने में कुछ गलत नहीं

केंद्र सरकार ने उत्‍तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर SC कोलेजियम को पुनर्विचार का दिया है निर्देश.

SC के लिए इंदु मल्‍होत्रा का नाम तय, जस्टिस जोसेफ पर CJI बोले- दोबारा विचार करने में कुछ गलत नहीं

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा की शीर्ष अदालत में जज के रूप में नियुक्ति पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह के नियुक्ति रोकने के आग्रह को 'अकल्पनीय' करार दिया. अदालत ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खनविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को भी शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने का केन्द्र को निर्देश दिया जाए. पीठ ने जयसिंह से सवाल किया, 'यह किस तरह का अनुरोध है.' पीठ ने कहा कि यह केन्द्र का अधिकार है कि वह पुन: विचार के लिए सिफारिश वापस भेजे. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मान लीजिये सरकार इसे पुन: विचार के लिए लौटा रही है, इस पर गौर किया जायेगा. आप कह रही हैं वारंट पर रोक लगायी जाए. ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता, यह अकल्पनीय है और मैं यह भी जोड़ सकता हूं कि ऐसा पहले कभी नहीं सुना है.' 

  1. इंद्रा जयसिंह ने रोक लगाने की मांग की थी
  2. अदालत ने ऐसी याचिका पर ऐतराज जताया
  3. SC कोलेजियम ने भेजेे थे दो जजों के नाम

सरकार को दोनों नाम स्‍वीकार करने चाहिए थे : जयसिंह

जयसिंह ने जोसेफ और मल्होत्रा के नामों को अलग करने के केन्द्र के निर्णय का जिक्र किया और कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता. सरकार को दोनों नामों की सिफारिश करनी चाहिए थी या अस्वीकार करना चाहिए था. पीठ ने कहा, 'संवैधानिक शुचिता की मांग है कि इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति के वारंट पर अमल किया जाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यह सुनकर हतप्रभ है कि बार की एक सदस्य को न्यायाधीश नियुक्त किया जा रहा है और अपराह्न दो बजे वकीलों का समूह नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाने के लिये इसका उल्लेख कर रहा है. 

100 से अधिक वकीलों ने दाखिल की थी याचिका
जयसिंह ने कहा कि वह नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाने के अनुरोध पर जोर नहीं दे रही हैं और अपनी पसंद के न्यायाधीशों को चुनने के वृहद मुद्दे पर न्यायालय से विचार करने का अनुरोध कर रही हैं न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल पुन: विचार के लिये लौटाने का मामला सामने आने पर उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के 100 से अधिक वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख किया और आरोप लगाया कि केन्द्र कोलेजियम की सिफारिशों में मनमर्जी से काम करके न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रहा है. 

जनवरी में कोलेजियम ने भेजे थे दो नाम
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने इस साल जनवरी में मोदी सरकार से उत्तराखंड के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी. मोदी सरकार ने इंदु के नाम को मंजूरी दी सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाली देश की सातवीं महिला होंगी. इसके अलावा वह देश की पहली महिला वकील भी होंगी जो सर्वोच्च न्यायालय में सीधे जज बनेंगी. 

1983 में शुरू की वकालत
इंदु मल्होत्रा ने लॉ करने के बाद 1983 में वकालत शुरू की और दिल्ली के बार काउंसिल में अपना पंजीकरण कराया. 1988 में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 'एडवोकेट-ऑन-रिकार्ड' के रूप में क्वालिफाई किया और परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया. इसके लिए उन्हें कानून दिवस पर मुकेश गोस्वामी मेमोरियल प्राइज से सम्मानित किया गया. सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल जस्टिस आर. भानुमति सुप्रीम कोर्ट की इकलौती महिला जज हैं. जस्टिस एम. फातिमा बीवी 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी थीं. उनके बाद जस्टिस सुजाता वी. मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई भी सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं थीं.

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