नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका यानि (Debt relief petition) स्वीकार कर ली है. यानी जेपी इंफ्राटक के दिवालिया घोषित होनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है.जेपी बिल्डर की दिवालिया घोषित होने की खबरों के आने से जेपी बिल्डर के बायर्स दुखी और परेशान हो गए हैं. इसके चलते वह अपना जवाब मांगने के लिए बिल्डर के सेक्टर 128 स्थित दफ्तर पहुंचे.
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नोएडा: नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका यानि (Debt relief petition) स्वीकार कर ली है. जेपी इंफ्राटेक ने नियामकीय सूचना में कहा कि एनसीएलटी की इलाहबाद पीठ ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता 2016 की धारा सात के तहत आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार कर ली है.इसमें कहा गया है कि कंपनी की तरफ से आपत्ति वापस लिये जाने के बाद एनसीएलटी की इलाहबाद पीठ ने नौ अगस्त को आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार कर ली और अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है.
जेपी इंफ्राटेक समस्या से जूझ रही है. कंपनी ने नोएडा और आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण किया है. कंपनी कर्ज में कमी लाने के लिये अपनी संपत्ति बेच रही है. यानि जेपी इंफ्राटक के दिवालिया घोषित होनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जेपी बिल्डर की दिवालिया घोषित होने की खबरों के आने से जेपी बिल्डर के बायर्स दुखी और परेशान हो गए हैं. इसके चलते वह अपना जवाब मांगने के लिए बिल्डर के सेक्टर 128 स्थित दफ्तर पहुंचे.
जेपी के फ्लैट बायर्स ने बताया कि उन्होंने लगभग 6 से सात साल पहले अपना फ्लैट बिल्डर के पास बुक कराया था और बिल्डर ने उनसे लगभग 95 प्रतिशत पैसा ले लिया है और दो से तीन साल में फ्लैट देना का वादा किया था. लेकिन अब साल 2017 भी खत्म होने को आया है, लेकिन उन्हें अपने फ्लैट अभी तक नहीं मिले.
फ्लैट बायर्स ने कहा कि अब हमें अपना घर कौन देगा, क्योंकि बिल्डर ने बैंकों की मिलीभगत से अपने आप को दिवालिया घोषित करवा लिया है.वहीं कुछ फ्लैट बायर्स ने कहा कि बिल्डर के हालात तो नौ महीनों में भी नहीं सुधरने वाले ऐसे में उसकी संपत्ति जब्त हो गई तो हमारे फ्लैट भी जब्त हो जाएंगे. हमने लाखों-करोड़ों रुपए देकर यह फ्लैट खरीदे हैं ऐसे में अगर बिल्डर की संपत्ति जब्त हो गई तो उनका पैसा उन्हें कौन देगा.
दरअसल पूरा मामला ये है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक के कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका स्वीकार कर ली है. जेपी को आईडीबीआई के 4000 करोड़ रुपये चुकाने हैं. इसके लिए जेपी को 180 दिन की मोहलत दी जाएगी जिसमें उसे अपना कर्ज लौटाने का रोडमैप देना होगा.
जेपी इंफ्रा रोडमैप देने में फेल होता है तो अगले 90 दिनों के नोटिस के बाद जेपी इंफ्रा को दीवालिया घोषित किया जाएगा. और फिर जेपी इंफ्राटेक की संपत्तियों को नीलाम किया जाएगा. जेपी को 32,000 लोगों को घर बनाकर देने हैं. यदि जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित किया जाता है तो इसका सबसे बड़ा असर ग्राहकों पर पड़ेगा.