जानिये, तिहाड़ के कैदी ग्रीन दिल्ली का सपना पूरा करने में कैसे कर रहे मदद
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जानिये, तिहाड़ के कैदी ग्रीन दिल्ली का सपना पूरा करने में कैसे कर रहे मदद

दिल्ली में घटते पेड़ों और बढ़ते कंक्रीट के जंगलों के बीच 'ग्रीन दिल्ली ' केवल एक स्लोगन बन कर रह गया है। यहां बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ विकास भले ही तेजी से हो रहा हो लेकिन उतनी ही तेजी से दिल्लीवासी प्रदूषण की चपेट में भी आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक दिल्ली दुनिया का सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर है।

फोटो: सुचित्रा दलाल

नई दिल्‍ली: दिल्ली में घटते पेड़ों और बढ़ते कंक्रीट के जंगलों के बीच 'ग्रीन दिल्ली ' केवल एक स्लोगन बन कर रह गया है। यहां बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ विकास भले ही तेजी से हो रहा हो लेकिन उतनी ही तेजी से दिल्लीवासी प्रदूषण की चपेट में भी आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक दिल्ली दुनिया का सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर हिंद भारतीय फाउंडेशन ने कवि द पोएट्री आर्ट प्रोजेक्ट के साथ मिलकर दिल्ली में 'रिगेन डेली फ्रेश एयर' कैंपेन की शुरूआत की है। दिल्ली में ताजी हवा को वापिस लाने में पेड़-पौधे अहम भूमिका निभाते हैं। इसी सोच के साथ इस कैंपन में लोगों को 2000 पौधे फ्री बांटे जाएंगे।

तिहाड़ के कैदियों ने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करते हुए ये पौधे तैयार किए हैं। इसके साथ ही इन कैदियों ने इन पौधों के साथ अपनी कविताओं और बच्चों के नाम को भी जोड़ा है। तिहाड़ जेल में 15 दिन पहले इस कैंपेन की शुरूआत कर दी गई थी, जिसमें कैदियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई स्टूडेंट्स और आम लोगों ने भी मिलकर बेकार बोतलों और डब्बों में पौधे लगाकर उन्हें पुन: प्रयोग करना शुरू किया है।

इस बारे में बात करते हुए कवि द पोएट्री आर्ट प्रोजेक्ट की सह संस्थापक माधुरी बलोदी ने बताया कि करीबन 20000 पौधों को विश्व पर्यावरण दिवस पर और 6 जून को रिगेन डेली फ्रेश एयर से जुड़े वॉलंटियर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में फ्री में बांटेंगे। साथ ही पौधों से जुड़ी कविताएं और उनके नाम भी खास रहेंगे, ताकि लोग न केवल इन पौधों को लेकर जाएं बल्कि इनकी अच्छे से देखभाल भी करें। जब तिहाड़ जेल में बंद लोग दिल्ली को स्वच्छ बनाने में सहयोग कर सकते हैं तो आज़ादी से जीने वाले दिल्लीवासी क्यों नहीं।

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