नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 149वीं जयंती पूरा देश मना रहा है. बापू का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बापू का योगदान अहम रहा. उन्होंने जीवन को जीने के लिए कई उद्देश्य दिए और उन उद्देश्यों पर सफल होने के लिए बहुत कुछ बताया. यूं तो देश में आज हर कोई गांधी जी के मार्ग पर चलने की बात करता है, लेकिन शायद ही उस मार्ग पर कोई चल पाता है. भारत भले ही आज अंग्रेजों से आजाद हो गया हो, लेकिन शांति देश को आज भी नहीं मिल पाई है. 


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सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले महात्मा गांधी को भी ये क्या पता था कि देश में ऐसा भी होगा. पिछले 18 सालों से गांधी जी की आंखों का गोल चश्मा गायब है, लेकिन पुलिस अभी तक न तो चश्मे को खोज पाई है और न ही चोर को. महात्मा गांधी हमारे राष्‍ट्रपिता हैं. राजधानी दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाकेे के 'ग्यारह मूर्ति' से बापू की प्र‍तिमा सेे उनका गोल चश्मा गायब है. दिल्ली पुलिस ने इसकी शिकायत तो ले ली, लेकिन 18 साल के बाद भी बापू के चश्मे को खोज नहीं पाई. 



साल 1999 को मदर टेरेसा क्रिसेंट के लॉन में काम कर रहे माली की नजर अचानक 'ग्यारह मूर्ति' में दांडी मार्च की अगुवाई कर रहे बापू की मूर्ति पर पड़ी. एक बार नहीं, दो बार नहीं, कई बार देखा, क्योंकि वो चेहरा महात्मा गांधी के चेहरे से थोड़ा अलग लग रहा था. ध्यान से फिर देखा, तो ये पाया कि बापू के चेहरे पर लगाया हुआ गोल चश्मा गायब है.


एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने इसकी शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने शिकायत तो सुनी. लेकिन उस शिकायत की एफआईआर दर्ज नहीं की. अब 18 सालों के बाद पुलिस भी शिकायत को भूल चुका है. 



एनडीएमसी के माली मनोहर लाल ने बताया कि चश्मा पत्थर नक्काशी के साथ ही जुड़ा था. जब उनकी नजर गई, तो देखा की चश्मा दोनों तरफ से टूटा हुआ है. उन्होंने बताया क्योंकि घटना को काफी समय हो चुका है. इसलिए अब बहुत कुछ याद नहीं है. दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त हुए इंस्पेक्‍टर श्रीकांत यादव उस समय चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में तैनात थे. उन्होंने बताया कि ये शिकायत आई थी, लेकिन इस शिकायत को उस समये सुलझाया नहीं गया था. उन्होंने बताया कि काफी जांच की गई, लेकिन अपराधी को नहीं पकड़ा गया. 



इस मामले पर जब एनडीएमसी के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि चार बार ये कोशिश की जा चुकी है, लेकिन हर बार चश्मा चोरी हो जाता है. अब सोचिए, जिस देश में गांधी जी का चश्मा सुरक्षित नहीं है, वहां लोग कैसे सुरक्षित होंगे. देश की राजधानी में अगर ये हाल है, तो देश के बाकी के राज्यों को क्या हाल होगा. पुलिस ने शिकायत सुनकर इतिश्री कर ली और एनडीएमसी ने चार बार बापू को फिर चश्मा पहनाकर. लेकिन चार बार चश्मा लगाने के बाद भी बापू आज भी चश्मे के बिना दांडी मार्च की अगुवाई कर रहे हैं.