दूध का पैकेट खरीदने से पहले पढ़ें ये खबर, खुले में रखा दूध हो सकता है हानिकारक
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दूध का पैकेट खरीदने से पहले पढ़ें ये खबर, खुले में रखा दूध हो सकता है हानिकारक

जिस दूध को हम स्वस्थ और शु्द्ध मानकर रोजाना पीते हैं वो कितना स्वस्थ है ये एक बड़ा सवाल है

पैकेज्ड दूध को 8 डिग्री तापमान से नीचे रखना जरूरी है वरना उसमें कई तरह के माइक्रोबॉयोलॉजिकल बैक्टीरिया पैदा होते हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सुमन अग्रवाल, नई दिल्ली: जैसे सूरज की पहली किरण से हमारी सुबह की शुरुआत होती है, वैसे ही दूध से हमारा दिन शुरू होता है. जिस दूध को हम स्वस्थ और शु्द्ध मानकर रोजाना पीते हैं वो कितना स्वस्थ है ये एक बड़ा सवाल है. रिटेलर्स स्वस्थ दूध के मानकों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जी हां, ऐसा हो रहा है. रिटेलर्स कुलिंग चेन मेंटेन नहीं करते और एफएसएसआई के स्टैंडर्ड की अनदेखी करते हैं. मानकों के मुताबिक पैकेज्ड दूध को 8 डिग्री तापमान से नीचे रखना जरूरी है वरना उसमें कई तरह के माइक्रोबॉयोलॉजिकल बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं. 

  1. दूध रिेटेलर्स नहीं मानते एफएसएसआई के नियम
  2. पैकेज्ड दूध को 3-4 घंटे रख देते हैं बाहर तापमान में
  3. 8 डिग्री से नीचे तापमान में दूध रखना अनिवार्य

कोल्ड चेन मेंटेन करना जरूरी
जी मीडिया ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया गया कि दिल्ली-एनसीआर में दुकानदार पैकेज्ड दूध को घंटों बाहर तापमान में छोड़ देते हैं. हमने प्लांट से दूध निकलने से लेकर रिटेलर, छोटे दुकानदार और रेड़ी पर दूध की ट्रे लेकर बैठने वालों की पूरी पड़ताल की. दुकान के बाहर या तो देर रात से या तड़के दूध सप्लाई हो जाता है. ट्रे में घंटों दूध के पैकेट्स बाहरी तापमान में पड़े रहते हैं. कम से कम 3-4 घंटे तक जब तक वो बाहर ही बिक न जाए. लेकिन मिल्क के स्टैंडर्ड्स की अगर बात करें तो दूध के लिए पैकेजिंग के बाद से कोल्ड चेन मेंटेन करना जरूरी है.

8 डिग्री तापमान के नीचे दूध रखना होता है हानिकारक
अगर दूध को आप 2 मिनट भी 8 डिग्री तापमान से ऊपर के तापमान में रखते हैं तो उसमें कई तरह के बैक्टीरिया का जन्म होता है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. लेकिन, हमें लगता है हम कभी भी दूध लेकर आएं वो फ्रेश ही है और हम उसे उबालकर कई बार ऐसे ही इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन आप सोचिए गर्मियों के दिन हैं और तापमान सिर चढ़कर बोलता है. सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक दूध किसी भी कूलिंग मशीन में नहीं रहता, इस दौरान दूध के अंदर माइक्रोबॉयजिकल ऑर्गनिज्म पैदा होते हैं. ये अगर आपके शरीर के अंदर जाएं तो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन हमें पता नहीं चलता. 

ये हैं दुकानदारों के बाहने
हालांकि रिटेलर्स के पास इस स्टैंडर्ड को नहीं मानने के कई तरह के बहाने हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे ही दुकानदारों के बहाने...
नोएडा के एक दुकानदार ने कहा, "हां तो क्या करें, खुले में रखा रहता है दूध, तापमान भी तेज होता है और यहीं से ग्राहक लेकर जाते हैं. हमारे पास इतनी बड़ी फ्रीज या कूलिंग मशीन नहीं है जिसमें हम इसे स्टोर करें". पांडव नगर में सड़क किनारे दूध बेचने वाले एक दुकानदार ने कहा, "हम मानते हैं कि हम क्लोड चेन मेंटेन नहीं करते. रोड़ पर एमसीडी ट्रे ही रखकर बेचने नहीं देती तो कूलिंग मशीन लगाना दूर की बात है. जबकि हम पूरे इलाके में सबसे बड़े सप्लायर हैं लेकिन मिल्क स्टोर करने का कोई उपाय नहीं. 3-4 घंटे दूध ऐसे ही रखे रहते हैं."

दूध बाहर रखने पर ये बैक्टीरिया लेते हैं जन्म
हम आपको बताते हैं कि पैकेज्ड दूध की हाईजीन मेंटेन नहीं होती है और उसे कूलिंग मशीन में नहीं रखा जाता है तो उसमें किस तरह से नुकसानदायक बैक्टीरिया जन्म लेते हैं. खुले तापमान में दूध रखने पर उसमें सल्फाइट रिड्यूसिंग क्लोसट्रिडिया, एंटेरोबेक्टर, बेसिलस इत्यादि बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं. ये सभी बैक्टीरिया तभी जन्म लेते हैं जब दूध पानी या कोई भी खाने की चीज में सेफ्टी या हाईजीन का ध्यान नहीं रखा जाता है. ये सभी फूड सेफ्टी क्राइटेरिया में आते हैं. लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है और अगर है भी तो वो सालों से रिटेलर्स को ऐसे ही दूध बेचते हुए देखते आ रहे हैं.

लोगों को जानकारी तो है लेकिन दूध खरीदने की मजबूरी
जब जी मीडिया की टीम ने आम लोगों से पूछा कि क्या उन्हें इसकी जानकारी है तो वे कहते हैं- "हां हमें पता है, लेकिन हम क्या करें. दूध 3 घंटे पड़ा है या तीन दिन पुराना है. कोई उपाय हो तो बताएं, लेना तो यहीं रिटेलर से ही है." खुले में दूध खरीदने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "बिल्कुल पता है, ये स्वस्थ नहीं है फिर भी हम खरीदते हैं और कोशिश करते हैं सुबह-सुबह जल्दी ले आएं. कंपनी और दूध मैन्यूफ्रेक्चर की जिम्मेदारी है कि वो दूध बनाने से लेकर पैकेजिंग रिटेलर के पास से कंज्यूमर के घर जाने तक पूरा ध्यान रखें कि प्रोडक्ट सही पहुंचे. लेकिन ऐसा नहीं है."

क्या हैं FSSAI के पैकेज्ड दूध पर नियम
दरअसल, दूध के लिए एफएसएसआई के माइक्रोबॉयलॉजिकल स्टैंडर्ड होते हैं. ये दो तरह के होते हैं, एक प्रोसेस हाईजीन क्राइटेरिया और दूसरा फूड सेफ्टी क्राइटेरिया. प्रोसेस हाईजीन क्राइटेरिया मैन्यूफ्रेक्चर की साइड ध्यान में रखा जाना चाहिए और दूसरी फूड सेफ्टी क्राइटेरिया जिसे मेंटेन करने की जिम्मेदारी रिेटेलर को उठानी है. लेकिन वो धड़ल्ले से नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है. हालांकि एफएसएसआई अपने नियमों को लेकर सख्त है और कहती है कि अगर कोई रिटेलर ये साबित करने में नाकाम होता है कि उसने सभी नियमों का पालन किया है तो उसे सजा होगी.

हो सकती है जेल की सजा
इस बारे में जब जी मीडिया की टीम ने एफएसएसआई के स्टैंडर्ड एंड रेगुलेशन के सलाहकार सुनील बक्शी से बात की तो उन्होंने कहा- "ये बिल्कुल सच है, मिल्क के लिए 8 डिग्री से नीचे के तापमान की जरूरत होती है. लेकिन अगर रिटेलर अपनी तरफ से किसी नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके लिए सजा एक्ट में लिखी है. या तो उसे जुर्माना देना होगा, या उसे जेल की सजा होगी."

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