OMG: तीन साल पहले मर चुका शख्स डाकघर से पैसे निकाल लाया!
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OMG: तीन साल पहले मर चुका शख्स डाकघर से पैसे निकाल लाया!

एक महिला के इस सवाल ने डाक विभाग के अधिकारियों को पशोपेश में डाल दिया और पारदर्शिता निगरानी इकाई केंद्रीय सूचना आयोग ने जांच का आदेश दिया. एक गरीब एवं अशिक्षित विधवा टी सुब्बाम्मा ने 10 साल पुराने इस मामले की तह तक जाने के लिए सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल किया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘मेरे पति ने अपनी मृत्यु के तीन साल के बाद कैसे अपना राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) रिटर्न का नकद हासिल कर लिया? ’ एक महिला के इस सवाल ने डाक विभाग के अधिकारियों को पशोपेश में डाल दिया और पारदर्शिता निगरानी इकाई केंद्रीय सूचना आयोग ने जांच का आदेश दिया. एक गरीब एवं अशिक्षित विधवा टी सुब्बाम्मा ने 10 साल पुराने इस मामले की तह तक जाने के लिए सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल किया. उसे उसके रिश्तेदार ने आंध्रप्रदेश के कुरनूल में डाक विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर कथित रूप से एनएससी राशि की चपत लगा दी.

  1. मृत्यु के तीन साल बाद व्यक्ति ने एनएससी की राशि ली
  2. सीआईसी ने मामले की जांच का आदेश दिया
  3. जिस शख्स के नाम पर पैसे निकल हैं वह 2004 में मर चुके हैं

सुब्बम्मा के पति आदिशेशैया ने 10-10 हजार रुपये के पांच एनएससी खरीदे थे. आदिशेशैया 2004 में चल बसे. पति के निधन के बाद सुब्बमा ने डाकघर के कई चक्कर काटे लेकिन उसे कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला. बाद में उसे बताया गया कि उसके पति ने 2007 में पैसे निकाल लिये.

अपने बेटे की मदद से उसने पिछले साल आरटीआई आवेदन दिया और एनएससी के निर्गत प्रमाणपत्र से जुड़े दस्तावेजों, मामले की जांच आदि समेत दस बातों के बारे में सूचनाएं मांगी. डाक विभाग ने बस सीमित जानकारी दी और आरटीआई कानून की धारा 8(1)(j) का हवाला देते हुए अहम रिकार्ड देने से इनकार कर दिया. यह धारा निजी सूचनाओं का खुलासा रोकती है.

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आयोग में सुनवाई के दौरान महिला ने डाक विभाग के अधिकारियों से पूछा , 'सर, कैसे कोई व्यक्ति अपनी मौत के तीन साल बाद डाकघर गया और उसने ब्याज के साथ एनएससी के 50000 रुपये हासिल कर लिये.' सूचना आयुक्त श्रीधर आचर्युलु ने कहा कि यह सवाल उस धोखाधड़ी को बेनकाब करता है जो डाकविभाग में हुई और आरटीआई आवेदन पर गुमराहपूर्ण जानकारी का भी खुलासा करती है.

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उन्होंने कहा, 'अधीक्षक भ्रमित हो गये और वह वृद्ध विधवा को जवाब नहीं दे पाये. वह कागजों को पलटते रहे और मदद के लिए अपनी महिला सहायकों एवं संबंधित लिपिकों की ओर ताकते रहे. ' आचार्युलू ने कहा कि छूट उपबंध का हवाला देकर सूचनाओं से वंचित करना गैरकानूनी हैऔर सुब्बम्मा को 50000रुपय से अधिक की राशि का चपत लगाने के लिए डाक विभाग के अधिकारी की कथित संलिप्तता में मामले की लीपापोती जान पड़ती है.
(इनपुट: भाषा)

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