हमारे संसद भवन (Parliament House) का उद्घाटन 1927 में हुआ था. संसद भवन का निर्माण तत्कालीन समय को ध्यान में रख कर किया गया था. इसी वजह से मौजूदा वक्त में संसद भवन का कूलिंग सिस्टम (Cooling System), मौजूदा शेप और स्थान पर्याप्त नहीं हैं.
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नई दिल्ली: संसद भवन (Parliament House) को नए स्वरुप देने या नया भवन (new building) बनाने की चर्चा काफी समय से चल रही है. हाल के दिनों में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha speaker Om Birla) ने भी नए भवन की बात कही थी. अभी हाल ही में राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने भी इसकी जरूरत की बात कही थी. इससे पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) ने भी इसकी बात उठाई थी.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि हमारे संसद भवन (Parliament House) का उद्घाटन 1927 में हुआ था. संसद भवन का निर्माण तत्कालीन समय को ध्यान में रख कर किया गया था. इसी वजह से मौजूदा वक्त में संसद भवन का कूलिंग सिस्टम (Cooling System), मौजूदा शेप और स्थान पर्याप्त नहीं हैं. यही वजह है कि मोदी सरकार (Modi Government) संसद भवन का रेनोवेशन कराने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक सांस्कृतिक विरासत (cultural heritage) को बचाते हुए संसद भवन का पुनर्निर्माण (restructure) किया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 में पार्लियामेंट (Parliament) को नया स्वरूप देने पर फैसला ले लिया गया है. हालांकि यह नए भवन के रूप में होगा या वर्तमान भवन को ही नया स्वरूप दिया जाएगा, इस पर फैसला होना बाकी है. लेकिन यह तय किया गया है कि 2022 में संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session) संसद के उस नए स्वरूप में ही आयोजित होगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने RFP यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी कर दिया है. इसके जरिए संभावित बिडर (आर्किटेक्ट या इंफ्रास्ट्रकचर कंपनी) को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा. इसमें अभी यह देखा जा रहा है कि कौन सी कंपनी इसका डिजाइन तैयार करने के लिए सामने आती है.
जानकारी के मुताबिक 2 सितंबर को एक आरएफपी फ्लोट किया गया था. ताकि कोई भी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां डिजाइन (design) तैयार कर के दें. बताया जा रहा है कि पार्लियामेंट का पुनर्निर्माण किया जाए या उसके बगल में नया पार्लियामेंट बनाया जाए इन तमाम विकल्पों पर कंपनियां अपना सुझाव देंगी.
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आज की हालात यह है कि सांसदों, उनके पीएस, या अन्य अधिकारियों को बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है. इसके अलावा वो कंपनी ये भी स्टडी करके बताएगी कि क्या सभी मंत्रालयों के दफ्तर के लिए एक केंद्रीय सचिवालय बनाने की जरूरत है. इसके साथ ही सेंट्रल विस्टा (Central Vista) यानी 3 किमी लंबी राष्ट्रपति भवन (President House) से इंडिया गेट (India Gate) तक के इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे रीस्ट्रक्टचरिंग किया जाए, इस पर विचार किया जा रहा है.
केंद्र सरकार सारे मंत्रालय एक जैसी डिजाइन की हो, इसकी व्यवस्था करने को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है. मोदी सरकार (Modi Government) मुगलों और अंग्रेजों का बनाया हुआ लुटियंस जोन (lutyens zone) का कायाकल्प करने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पुराने भवन भी मौजूद रहेंगे. लेकिन, उनका उपयोग कैसे हो, इस पर मंथन चल रहा है.