डीआरआई की टीम ने मुंबई के शिवडी, उत्तन, पालघर, रायगढ और गुजरात के कई हिस्सों में जांच कर जब सारी कड़ी को जोडा तो शिवड़ी के गोदाम से बडी मात्रा में मछलियों के पंख मिले.
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राजीव रंजन सिंह, मुंबईः डारेक्टर रेवेन्यू इंटेलिजेंस की टीम ने मुंबई के तट से तकरीबन 8 टन शार्क मछलियों के पंखों को विदेशों में भेजने वाले एक गिरोह को पकड़ा है. बताया जा रहा है कि विदेशों में इन पंखों का इस्तेमाल सूप बनाने के लिए किया जाता है. ऐसा अनुमान है कि शार्क के पंखों के एक प्याली सूप की कीमत तकरीबन 10 से 12 हजार रुपए होती है. इस गिरोह ने शार्क मछली के पंखों को बदन से काटकर इकट्ठा किया था. इसे इकट्ठा करने वाले लोग चेन्नई के हैं लेकिन मुंबई से विदेश में एक्सपोर्ट करने की तैयारी में थे. लेकिन डीआरआई (DRI) की टीम ने धर दबोचा.
डीआरआई की टीम ने मुंबई के शिवडी, उत्तन, पालघर, रायगढ और गुजरात के कई हिस्सों में जांच कर जब सारी कड़ी को जोडा तो शिवड़ी के गोदाम से बडी मात्रा में मछलियों के पंख मिले. इतनी बडी मात्रा में शार्क मछलिय़ों के पंख को इकट्ठा करने के लिए तकरीबन 20 हजार मछलियों को समुद्र में काटा गया है. इन शार्क मछलियों के पंख को सूप में पीने के लिए इस्तेमाल में चीन, जापान, इन्डोनेशिया, और थाइलैण्ड. जैसे देशों में ज्यादा शौक से इस्तेमाल किया जाता है.
ऐसा बताया जा रहा है कि एक कप शार्क के सूप की कीमत तकरीबन 10 से 12 हजार रुपए होती है. शार्क मछलियों के पंख का इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है. इस मामले में शराफत अली और आर अहमद सहित दो और लोगों को हिरासत में लिया है. इनके कब्जे से जब्त किए गए शार्क मछलियों के पंखों की अंतरारष्ट्रीय बाजार में कीमत तकरीबन 30 से 40 करोड रुपए है. इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों को अदातल ने 14 दिनों के लिए पुलिस हिरासत भेज दिया.
वकील बचाव पक्ष के वकील रवि हिरानी का कहना है, इन पंखों को साल 2017 में एक्सपोर्ट की श्रेणी में रखा गया था, इसलिए हमारे मुअक्किलों ने इसे इक्टठा किया था. वैसे ये सारे पंख फिलहाल डोमेस्टिक मार्केट में भेजने के लिए रखा गया था.
आपको बता दें कि आमतौर पर जानवरों के शरीर के किसी हिस्से के तस्करी, उनकी खाल, दांत की तस्करी के मामले सामने आते हैं. कभी-कभी किसी दुर्लभ प्रजाति की तस्करी के मामले भी सामने आते हैं. लेकिन शार्क जैसी खतरनाक मछली के पंखों को मछली का मीट और स्कीन बताकर एकपोर्ट करने का ये पहला मामला सामने आया है. हालाकि जांच एजेंसी अब इसके पीछे कई राज को खंगलने की कोशिश कर रही हैं कि मुंबई सहित पश्चिमी किनारों पर गाहे बगाहे मरी पाई जाने वाली शार्क और व्हेल मछलियों के राज क्या है. क्या कोई संगठित तौर पर इस तरह के हरकत किए गए हैं.