LGvsCM: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल ही नहीं यह सीएम भी हो रहे हैं खुश!
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LGvsCM: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल ही नहीं यह सीएम भी हो रहे हैं खुश!

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की, अधिकारों की रस्साकशी के मामले में बुधवार को आप सरकार को सुप्रीम कोर्ट में बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता मिली.

(फोटो साभार : @AamAadmiParty)

पुडुचेरी : दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की, अधिकारों की रस्साकशी के मामले में बुधवार को आप सरकार को सुप्रीम कोर्ट में बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता मिली. केजरीवाल ने जहां इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया वहीं पुडुचेरी के सीएम भी इस फैसले की तारीफ की और दावा किया कि यह फैसला पुडुचेरी पर भी लागू होता है. 

 उपराज्यपाल किरण बेदी के साथ विवाद में शामिल पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने चेतावनी दी कि अगर उपराज्यपाल ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार काम नहीं किया तो वह अवमानना की याचिका दायर करेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं फैसले का स्वागत करता हूं और यह पुडुचेरी सरकार पर भी पूरी तरह लागू होता है. पुडुचेरी भी केंद्र शासित प्रदेश है.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि बेदी अपने तौर तरीकों को बदलेंगी. 

नारायणसामी ने कहा, ‘जो भी काम उच्चतम न्यायालय द्वारा अब दिए गए फैसले के विरोधाभासी होगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मैं खुद उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार काम करने में नाकाम रहने वालों के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर करुंगा.’ 

केजरीवाल बोले लोकतंत्र के लिए एक 'बड़ा फैसला'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच सत्ता टकराव पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है और इसे शहर के लोगों और लोकतंत्र के लिए एक ‘ बड़ा फैसला ’ करार दिया. केजरीवाल ने फैसले के कुछ मिनटों के बाद ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली के लोगों की एक बड़ी जीत...लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत...’’ 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि उप राज्यपाल अनिल बैजल के पास स्वतंत्र फैसला लेने का अधिकार नहीं हैं और उन्हें मंत्रिपरिषद की सहायता से एवं सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं. 

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि उप राज्यपाल अवरोधक के तौर पर कार्य नहीं कर सकते. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कानून - व्यवस्था सहित तीन मुद्दों को छोड़ कर दिल्ली सरकार के पास अन्य मुद्दों में कानून बनाने और शासन का अधिकार है. 

न्यायालय ने कहा कि उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए और मतभेदों को विचार - विमर्श के साथ सुलझाने के लिए प्रयास करने चाहिए. 

पुडुचेरी की तुलना दिल्ली से नहीं की जा सकती: SC
हालांकि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पुडुचेरी की तुलना दिल्ली के मामले से नहीं की जा सकती क्योंकि पुडुचेरी के शासन का प्रावधान राष्ट्रीय राजधानी से संबंधित प्रावधान से अलग है. 

शीर्ष अदालत ने कहा कि पुडुचेरी का मामला केन्द्र शासित प्रदेशों अंडमान निकोबार द्वीप समूह , दमन और दीव , दादर नागर हवेली , लक्षद्वीप और चंडीगढ से भी अलग है.  पीठ ने कहा कि पुडुचेरी का शासन संविधान के अनुच्छेद 239 ए के अनुसार चलता है जबकि दिल्ली के शासन के लिए पृथक अनुच्छेद 239 एए उपलब्ध है. 

(इनपुट - भाषा)

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