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नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एप आधारित टैक्सी सेवा प्रदाताओं ओला और उबर को स्पष्ट किया कि वे ग्राहकों से आप सरकार द्वारा तय दरों से ज्यादा धन वसूल नहीं कर सकते।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह निर्देश एप आधारित टैक्सी सेवाओं द्वारा व्यस्त समय के दौरान ‘बढ़ते दाम’ (सर्ज प्राइसिंग) के मुद्दे पर दिया जिसे अदालत में चुनौती दी गई है।
ओला चलाने वाली ‘एएनआई टेक्नोलाजीज’ के वकील ने न्यायाधीश को बताया कि फर्म दिल्ली सरकार की तय दरों से ज्यादा पैसा नहीं वसूल करेगी और उसे अपने ग्राहकों को छूट देने की अनुमति मिलनी चाहिए।
अदालत ने ओला को नौ अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख से पहले हलफनामे के साथ अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
उबर की ओर से पेश वकीलों ने इस बारे में निर्देश लेने के लिए समय मांगा कि कंपनी अब भी तय दरों से ज्यादा धन वसूल रही है या नहीं।