हिसार: हरियाणा में विधानसभा चुनाव में 75 पार का नारा देने वाली बीजेपी की स्थिति यह हुई कि वो अपने दम पर अकेले सरकार बनाने का आंकड़ा भी नहीं छूं पाई. प्रदेश के पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु शुक्रवार को हिसार में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे थे, इसी बीच बातचीत में जब कैप्टन से विधानसभा चुनाव में संगठन या फिर सरकार कमजोर होने के चलते ऐसे परिणाम रहने संबंधित सवाल किया गया तो कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि वो समझते है कि संगठन और ज्यादा प्रभावी होना चाहिए. राजनीतिक संगठन सरकार के आश्रय पर नहीं चलने चाहिए. संगठन से सरकार चले ऐसा माहौल होना चाहिए.
कैप्टन ने कहा कि लोकसभा में संगठन ने अच्छा काम किया, तो परिणाम सभी के सामने रहे. विधानसभा में भी संगठन ने अच्छा काम किया, लेकिन विधानसभा में और भी बेहतर काम कर सकते थे. कैप्टन अभिमन्यु से तमाम सीटों पर मिली हार को लेकर हुई समीक्षा बारे चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि विधानसभा स्तर का माइक्रो एनालिसिस तो कर लिया है. प्रदेशस्तर का विशलेषण होना बाकि हैं. उन्होंने कहा कि 79 सीट पर लोकसभा में जहां लीड थी, ये ठीक हैं कि वैसे का वैसा परिणाम नहीं आ सकता था.
लेकिन अच्छा अंक क्यों नहीं आ पाया, इस पर चूक हुई. कैप्टन ने क्रिकेट टीम का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे एक टीम 300 रन का टॉरगेट लेकर चलती है और जब वो स्कोर नहीं बन पाता तो वो टीम विशलेषण करती है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. वैसे ही एक अच्छी टीम की तरह एक अच्छी राजनीति पार्टी भी विशलेषण करती है, और हम भी विषलेषण कर रहे है कि आखिर रणनीति में चूक हुई, चुनाव प्रबंधन में या फिर मैनिफिस्टों को लेकर कोई कमीं रही. तमाम पहलुओं पर मंथन कर रहे है.
कैप्टन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में केवल 3 सीटे ऐसी रही जहां लोकसभा के मतों की अपेक्षा विधानसभा में अच्छी परफोर्मेंस नजर आई, इनमें 2 मेवात की है और तीसरी हिसार के नारनौंद की सीट. कैप्टन ने कहा कि उन्होंने 9 हजार वोट लोकसभा के चुनाव परिणाम से ज्यादा लिए, ऐसे में जनता ने तो उन्हें पूरा प्यार दिया भले ही वो सीट नहीं जीत पाएं.
शिवसेना ने बाला साहेब की विचारधारा को त्याग दिया
हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने महाराष्ट्र में बनी सरकार पर भी निशाना साधा. कैप्टन ने कहा कि जनादेश को धत्ता बताने का वहां काम किया गया है. 25 साल तक एक विचारधारा का साथ देते हुए बीजेपी शिवसेना के गठबंधन जिसे वहां का जनादेश मिला, वहां शिवसेना ने जनमत को धत्ता विचारधारा से पलायन करते हुए सत्ता के लालच में कांग्रेस की गोद में बैठने का काम किया. जनता की भावनाओं को ओझल करके नई तिकड़ी सरकार का वहां गठन किया है, ये सरकार पूर्ण रूप से अनैतिक गठंधन है. उन्होंने कहा कि शिवसेना विचारधारा के साथ समझौता करेगी, ऐसी उम्मीद नहीं थी.
ऐसा लगता है कि बालासाहेब की विचार धारा को त्याग कर सत्ता के लालच में शिवसेना ठीक उल्ट धारा की तरफ चली गई है. देश की जनता इस तमाशे को देख रही है, और आने वाले समय में सबक जनता सिखाएगी.
कैप्टन से जब पूछा गया कि क्या रातों रात राष्टपति शासन हटना और अगले रोज सवेरे शपथ दिलाना नैतिक मूल्य का हनन नहीं था. तो कैप्टन ने कहा कि ये नैतिक मूल्य में हनन नहीं था. बड़े दल के नाते बीजेपी का फर्ज बनता था, वो उन्होंने किया और जनता के मिले सम्मान का आदर किया.
पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के बयान पर बोले चंडीगढ पर हक कमजोर ना हो
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीते दिनों हरियाणा में समीपवर्ती राज्य यूपी और राजस्थान के कुछ जिलों को मिलाकर इसे बड़ा किए जाने संबंधित दिए गए बयान के सवाल पर हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पुराने समय से इस विषय को लेकर चर्चाएं चलती थी, हरियाणा जब बना था राव वीरेंद्र सिंह ने विशाल हरियाणा पार्टी बनाकर शुरूआत की थी.
समय—समय पर इस बात की मांग या चर्चा होती रही है. उन्होंने कहा कि पूरा का पूरा क्षेत्र कृषि से जुड़ा है, संस्कृति भी एक है. अतीत में दिल्ली ही राजधानी रही. कैप्टन ने कहा कि चंडीगढ हरियाणा की राजधानी हैं और यह बहुत आवश्यक है, इस पर हमारे किसी प्रकार का अधिकार कमजोर नहीं होना चाहिए. अगर यह देशहित में है, अगर समाज, प्रशासन, सरकार इसे उचित मानती है, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
जब पूछा महाराष्ट्र में गलत तो क्या हरियाणा में ठीक किया बीजेपी ने
हरियाणा में बीजेपी ने अपनी विपक्षी पार्टी यानि जेजेपी के साथ हाथ मिलाकर ही सरकार बनाई है. कैप्टन ने महाराष्ट्र मामले को लेकर जमकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को कोसा. जब उनसे प्रदेश के बारे में पूछा गया कि क्या बीजेपी ने जो हरियाणा में किया वो ठीक किया. तो कैप्टन अभिमन्यु ने चालाकी से जवाब दिया, कैप्टन ने कहा कि दोनों में अंतर हैं, एक समानता भी है. महाराष्ट्र में सबसे बड़ा दल भारतीय जनता पार्टी हैं. स्थाई सरकार देने के लिए कर्तव्य मान करके सब प्रयोग करने के लिए तैयार हो गए. वहां हमने मूल सिद्धांत से और मुद्दे से डिगने का काम नहीं किया.
वरना 2.5— 2.5 साल के राज के लिए शिवसेना भी तैयार थी. पर सवाल है, जो बात है उस बात पर टिकना चाहिए. हरियाणा में जनता ने 90 में से 40 सीटें दी थी, तो हमें सहयोगी की जरूरत पड़ी. ऐसे में आजाद का सहयोग लिया और जेजेपी ने समर्थन दिया. तो सबसे बड़े दल के नाते से जनादेश ही ऐसी स्थिति पैदा करें, तो आपको तो फर्ज निभाना पड़ेगा.