'पेपर क्वीन' पूनम गुप्ता अब करेंगी यमुना की सफाई, कहा-5 साल में बड़ा लक्ष्‍य हासि‍ल करने की उम्‍मीद
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'पेपर क्वीन' पूनम गुप्ता अब करेंगी यमुना की सफाई, कहा-5 साल में बड़ा लक्ष्‍य हासि‍ल करने की उम्‍मीद

पूनम गुप्ता 2002 में भारत से स्कॉटलैंड गई थीं. उन्होंने पीजी पेपर्स की एक कमरे से शुरुआत की थी, जो अब दुनिया की बड़ी पेपर कंपनियों में शामिल हो चुकी है.

पूनम गुप्ता ने कहा कि भारत और स्कॉटलैंड के बीच कारोबार की असीम संभावनाएं हैं.
पूनम गुप्ता ने कहा कि भारत और स्कॉटलैंड के बीच कारोबार की असीम संभावनाएं हैं.

आगरा: 'पेपर क्वीन' के नाम से मशहूर पूनम गुप्ता अब यमुना की सफाई के लिए आगे आना चाहती हैं. स्कॉटलैंड की जानी मानी कारोबारी पूनम गुप्ता भारत में नदियों के संरक्षण और भूमिगत जल की सफाई के क्षेत्र में उतर रही हैं. पूनम ने बताया कि मैं दिल्ली की रहने वाली हूं. जिंदगी के शुरुआती 25 साल मैंने दिल्ली में ही गुजारे हैं. उन्होंने कहा कि मैं अगले पांच साल में यमुना को साफ करने की दिशा में बड़ा काम करना चाहती हूं. पूनम का कहना है कि गंगा, यमुना और ताजमहल भारत की पहचान है. गंगा के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार काम कर रही है. ताजमहल के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट लगातार निर्देश दे रहा है. इन सबके बीच यमुना उपेक्षित है. 

उन्होंने कहा कि अब जब मैं नदियों और भूमिगत पानी को साफ करने की टेक्नोलॉजी लेकर भारत आ रही हूं तो मेरी प्राथमिकता में यमुना सबसे ऊपर है. उन्होंने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार से हमें काफी सहयोग मिल रहा है. हरियाणा सरकार ने हमें काफी सुविधाएं मुहैया कराई हैं. उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने के लिए हमें हरियाणा की तरह ही उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य सरकारों से इसी तरह की मदद की अपेक्षा है. स्कॉटलैंड में पीजी पेपर्स नाम की कंपनी की सीईओ पूनम गुप्ता भारत और स्कॉटलैंड के बीच कारोबारी संबंध बढ़ाने की कोशिश में एक लघु प्रतिनिधिमंडल लेकर भारत आई थीं.

 

इस कड़ी में उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पीयूष गोयल समेत केंद्र सरकार के कई मंत्रियों से मुलाकात की. पूनम ने कहा कि भारत और स्कॉटलैंड के बीच कारोबार की असीम संभावनाएं हैं. दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ाने में केंद्रीय मंत्रियों ने सक्रिय भूमिका निभाने का आश्वासन दिया है. 

जानिए कौन हैं पूनम गुप्ता
पूनम गुप्ता 2002 में भारत से स्कॉटलैंड गई थीं. उन्होंने पीजी पेपर्स की एक कमरे से शुरुआत की थी, जो अब दुनिया की बड़ी पेपर कंपनियों में शामिल हो चुकी है. 2017 में उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कारोबार और चैरिटी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर यानी ओबीई नियुक्त किया है. 

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