प्रदूषण की मारः वैज्ञानिकों ने तैयार किया ऐसा एयर फिल्टर जो श्वास नली में केवल स्वच्छ हवा को जाने देगा
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प्रदूषण की मारः वैज्ञानिकों ने तैयार किया ऐसा एयर फिल्टर जो श्वास नली में केवल स्वच्छ हवा को जाने देगा

इन्सान के फेफडों को जहरीली हवा से बचाने के लिये वैज्ञानिक प्रयास शुरू हो गये हैं. इसी कड़ी में आईआईटी, कानपुर के सिडबी इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर में एक ऐसा एयर फिल्टर तैयार हुआ है जो श्वाॅस नली में केवल स्वच्छ हवा को जाने देगा. 

फाइल फोटो- PTI

 

राजेश एन अग्रवाल, कानपुरः प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्ली-एनसीआर और कानपुर के लिए वैज्ञानिकों की एक खोज वरदान बनकर आई है. वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला एयर फिल्टर तैयार किया है जो बारीक से बारीक धूलकण को आपकी सांस में जाने से रोकेगा और नाक पर टिका रहेगा. इसके पहले गर्दन अथवा कान के पीछे बांधे जाने वाले मास्क ही बाजार में मौजूद थे. इस नेसल मास्क की खोज आईआईट कानपुर के सिडबी इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर में हुई है. 

बता दें कि हाल ही में आईआईटी दिल्ली ने भी पीएम 2.5 धूलकण रोकने वाले फिल्टर प्लग बना लेने का दावा किया था लेकिन आईआईटी कानपुर कई मायनों में उनसे एक कदम आगे निकल गया है. नाक के अन्दर फिट होने वाला ये नोजल प्लग नैनो पार्टिकल पूरी तरह नहीं रोक पाते थे और दूसरा सांस लेने की गति भी धीमी हो जाती थी. लेकिन आईआईटी कानपुर में तैयार हुए नेजल ब्रीथिंग फिल्टर के अंदर सिलीकाॅन लगा है. यह नाक पर आसानी से टिकने में मदद करता है जिससे छीकने और दौड़ने पर भी मास्क नहीं गिरेगा. 

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यह नेजल हवा में घुले बैक्टीरिया मार देगा, यह अस्थमा मरीजों के लिए फायदेमंद होगा. इसके लिये फिल्टर के अंदर 70 प्रतिशत इथाइल एल्कोहल जल का प्रयोग किया गया है. इसके अलावा यह रजाई या गद्दे से निकलने वाले छोटे कण यानि कॉटन माइक्रोफाइबर को भी अंदर जाने से रोकेगा. कॉटन माइक्रोफाइबर के चलते अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है.

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वैज्ञानिकों की कोशिश इस फिल्टर की लागत काफी किफायती रखने की है ताकि यह आम आदमी की जेब की पहुंच में रहे. फिल्टर का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया जा चुका है. पहले शहर के 200 लोगों को यह फिल्टर मुफ्त में दिया जाएगा. ट्रैफिक पुलिसकर्मी, आईआईटी के सिक्योरिटी गार्ड, अस्थमा पीड़ितों और पनकी में रहने वाले को बांटे जाएंगे. वह इसका प्रयोग करके अपना अनुभव बताएंगे. अगर कोई कमी होगी तो इसमें फिर से संशोधन किया जाएगा. इस फिल्टर की सबसे बड़ी खूबी यह भी है कि इसे डिटरर्जेंट से धोकर फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकेगा. 

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वैज्ञानिकों ने बाजार में उतारने के लिए चार आकार में फिल्टर बनाये हैं. पहला छोटे बच्चों के लिए होगा, दूसरा युवाओं के लिए, तीसरा बड़ों के लिए और चौथा जिनकी नाक बड़ी होती है. इसे तैयार करने के लिए कई बड़ी कंपनियों से बातचीत भी चल रही है. 

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