कोरोना काल में सरकार ने स्कूलों को आदेश दिया था कि वो ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस चार्ज ना करें. लेकिन इसके लिए कोई कानून नहीं बनाया गया. जिसका नतीजा ये हो रहा है कि अब स्कूलों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण बाजार में आई मंदी के चलते जहां एक तरफ छोटे बड़े कई कारोबार बंद होने की कगार पर आ गए हैं. ऐसे समय में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में शिक्षा (Education) महंगी हो गई है. यहां के कई प्राइवेट स्कूलों (Private School) ने फीस (School Fees) में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इस खबर ने पेरेंट्स की चिंता को कई गुना बढ़ा दिया है.
हर महीने 4 हजार रुपये की हुई बढ़ोतरी
दिल्ली की रहने वाली शिल्पा अरोड़ा ने बताया कि उनके दोनों बच्चे एक बड़े प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं. लेकिन इस बार जब उन्होंने फीस भरने के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोला तो उन्हें पता चला कि फीस करीब 4 हजार रुपये तक बढ़ चुकी है. जहां पहले उन्हें अपने एक बच्चे की फीस के लिए हर महीने 9100 रुपये भरने होते थे, वहीं इस बार उनसे 13,414 रुपये फीस मांगी जा रही है. शिल्पा परेशान हैं कि कैसे वह बढ़ी हुई फीस स्कूल में जमा कराएं, क्योंकि महामारी की वजह से पैसों की तंगी पहले ही सताने लगी है.
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दिल्ली में 50 फीसदी तक महंगी हुई शिक्षा
फीस बढ़ाने वाले दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में कई ऐसे भी हैं जिन्होंने बिना नोटिस दिए ही स्कूल फीस बढ़ा दी है. फीस में इजाफा 5 या 10 फीसदी का नहीं है, बल्कि कई प्राइवेट स्कूलों ने 50 फीसदी तक पैसे बढ़ाए हैं. इसकी सूचना के बाद से ही अभिभावक फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार इस मामले में दखल देते हुए कुछ कदम उठाएगी या दिल्ली के प्राइवेट स्कूल ऐसे ही अपनी मनमर्जी करते रहेंगे.
सरकार के आदेश के बावजूद बढ़ाई फीस
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की प्रेसिडेंड अपराजिता गौतम ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने स्कूलों को ये आदेश तो दिया था कि वो ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस चार्ज ना करें. लेकिन इसके लिए कोई कानून नहीं बनाया गया. जिसका नतीजा ये हो रहा है कि अब स्कूलों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी है.
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फंड के नाम पर अपनी जेब भर रहा स्कूल मैनेजमेंट
इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि स्कूल अब पीटीए फंड (PTA Fund), स्कॉलरशिप फंड (Scholorship Fund), ऑपरेशनल चार्ज (Operational Charge), टेक्नोलॉजी फीस (Technology Fees), डेवलपमेंट फीस (Development Fees) और एनुअल चार्ज (Annula Charge) के नाम पर फीस बना रहे हैं.
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अभिभावकों से मांगे आर्थिक तंगी के सबूत
फीस बढ़ोतरी की खबर सुन कुछ पेरेंट्स ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए कॉलेज से छूट की मांग की तो मैनेजमेंट ने अभिभावकों से इसके सबूत मांग लिए. स्कूल मैनेजमेंट ने कई अभिभावकों को ईमेल के जरिए आर्थिक तंगी के सबूत देने की मांग की है. अग्रवाल ने बताया कि जब तक इस पर सरकार कोई सख्त कानून नहीं लाती, तब तक आम इंसान कोरोना वायरस के कारण होने वाली महंगाई की मार झेलता रहेगा.
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